भिण्ड, गणेश भारद्वाज। वर्ल्ड नर्स डे (World nurse day) के अवसर पर जिला पुलिस बल के द्वारा न केवल जिला चिकित्सालय बल्कि विभिन्न थाना क्षेत्रों के चिकित्सालय में काम करने वाले मेडिकल स्टाफ (medical staff) को गुलाब भेंटकर व सेल्यूट देकर उनके सेवाभाव को नमन किया गया। वही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने जिला चिकित्सालय के अति गंभीर कोविड मरीजों का इलाज कर रही नर्सेज के पैर पखार कर भारत माता स्वामी विवेकानंद के चित्र भेंट कर सम्मानित किया। स्वयंसेवकों ने यहां न केवल नर्सेज बल्कि जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉ अजीत मिश्रा, जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ अनिल गोयल, आरएमओ आरके राजोरिया को भी भारत मा के चित्र भेंट उनके कार्य को नमन किया।
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जिला चिकित्सालय में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कमलेश खरपूसे, डीएसपी हेडक्वार्टर मोतीलाल कुशवाहा, डीएसपी पूनम थापा सीएसपी आनंद राय सहित तमाम पुलिसकर्मियों ने जिला चिकित्सालय में कोरोना मरीजों के इलाज हेतु दिन रात मेहनत कर रही तीन दर्जन से अधिक प्रमुख नर्सेज को सम्मानित किया। पुलिस अधिकारी और पुलिस कर्मियों के द्वारा इन सभी को न केवल सम्मान स्वरूप गुलाब की डालियां सौंपी गई बल्कि कई अधिकारियों ने इनके बेहतरीन कार्य के लिए इन्हें सैल्यूट भी किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आधा दर्जन से अधिक स्वयं स्वयं सेवकों ने सांय काल जिला चिकित्सालय पहुंच कर कोविड आईसीयू में सेवाएं दे रही नर्सेज को एक कतार में बिठाकर सर्वप्रथम उनके पैर पखारे फिर उनके पैरों को तोलिया से साफ किया , माथे पर रोली-चंदन लगाकर वंदन अभिनंदन किया और फिर भारत मां तथा स्वामी विवेकानंद के चित्र भी सम्मान स्वरूप भेंट किये। संघ स्वयंसेवकों में जिला प्रचारक नितिन अग्रवाल, ब्रजमोहन शर्मा, संतोष शर्मा, रामानंद शर्मा, रामकुमार भदौरिया, मनीष ओझा, हरिकृष्ण शर्मा इत्यादि प्रमुख रूप से मौजूद रहे। इन सभी स्वयं सेवकों ने दिन रात संक्रमण काल मे मेहनत कर रहीं नर्सेज और अधिकारियों को उनके अच्छे और समर्पण भावी कार्यों के लिए नमन किया।
बता दें कि हर साल 12 मई को इंटरनेशनल नर्स डे मनाया जाता है, इस दिन फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन की वर्षगांठ के तौर पर इसे मनाया जाता है कहते हैं कि फ्लोरेंस नाइटिंगेल विश्व की पहली नर्स थी जिन्होंने क्रीमियन युद्ध के दौरान लालटेन लेकर घायल ब्रिटिश सैनिकों की देखभाल की थी जिसके कारण इन्हें लेडी विद द लैंप भी कहा गया है जाता है। वही मरीजों को बचाने में जितना डॉक्टर का योगदान होता है उतना ही एक नर्स का भी होता है वह भी अपने घर और परिवार से दूर रहकर मरीजों की दिन-रात सेवा करती है और इसी के लिए नर्सों के साहस और सराहनीय कार्यों के लिए यह दिवस मनाया जाता है।