आज भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल पूरे हो चुके हैं। आज भी अगर उस दिन को याद किया जाता है तो, लोगों की रूह कांप जाती है। दरअसल शहर में मिथाइल आइसोसाइनेट नाम के जहर के फैल जाने से तबाही का मंजर देखने को मिला था। सांस लेना भी जैसे गुनाह साबित हो चुका था। इस जहरीली हवा की चपेट में लगभग 5 लाख से अधिक आबादी आई थी। दरअसल इस जहर के हवा में घुल जाने से हर तरफ लोगों की सांस घुटने लगी थी। जिसके चलते लोग गलियों में, सड़कों पर इधर-उधर भागते हुए दिखाई दे रहे थे।
जो भी इस हवा की चपेट में आया वह फिर कभी नहीं उठा। इस बात को आज 40 साल हो गए हैं। लेकिन आज भी गैस त्रासदी के इलाके में जीवन बर्बाद ही नजर आता है। मिथाइल आइसोसाइनेट नाम के जहर ने दो-तीन दिसंबर की आधी रात को कई सपनों को तोड़ दिया।
कैसे हुआ था यह हादसा?
दरअसल 2 और 3 दिसंबर की आधी रात को यह हादसा हुआ था। आज भी वह दिन भोपाल के नागरिकों के लिए काली रात माना जाता है। आधी रात को शहर की हवा में मिथाइल आइसोसाइनेट नाम का जहर फैल गया। यूनियन कार्बाइड के कारखाने के टैंकर नंबर 610 से लीक हो जाने के चलते यह गैस पूरे शहर में फैल गई। बता दें यह इतनी भयानक घटना थी कि आसपास के इलाकों में सो रहे लोग सोते ही रह गए। जो भी इस जहर के चपेट में आया। वह अपनी जान गवा बैठा। जानकारी दे दें कि आधे घंटे बाद भोपाल शहर की हवा में यह जहर खत्म हुआ। इसके बाद छानबीन शुरू हुई और गंभीर रूप से घायलों को अस्पतालों में भर्ती किया गया।
आज भी इस घटना को भुला पाना क्यों है इतना मुश्किल?
इस दुखद घटना का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अस्पताल की मर्चुरी में शवों को रखने की जगह तक नहीं थी। इतनी ज्यादा संख्या में लोग मारे गए थे। सरकारी आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो इस दुखद घटना में कम से कम 3787 लोग मारे गए थे। लेकिन गैर सरकारी संगठन आज भी इस भयानक घटना में 25000 से अधिक लोगों की मौत का दावा करते हैं। हालांकि इस घटना को आज 40 साल हो गए हैं लेकिन इसके बाद भी आज तक इस भयानक घटना से भोपाल के लोग बाहर नहीं निकल सके हैं। प्रभावित इलाकों में लगभग 197 बच्चे ऐसे पैदा हुए हैं जो विकलांग है या निश्शक्तता से पीड़ित है।