भोपाल को लेकर बड़ा फैसला-23 अप्रैल से होंगे शुरु केन्द्र, अधिकारियों को सौंपी जिम्मेदारी

Pooja Khodani
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कोरोना कर्फ्यू

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग (Medical Education Minister Vishwas Kailash Sarang) ने बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत भोपाल नगर निगम (Bhopal City Corporation)  के हर जोन में 2-2 कोविड सहायता केन्द्र खोले जायेंगे। यह केन्द्र 23 अप्रैल से शुरू हो जायेंगे। इन केन्द्रों पर सामान्य कोविड मरीजों को होम आइसोलेशन की आवश्यक दवाएँ उपलब्ध होंगी।

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दरअसल, आज चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने इसकी तैयारियों के लिये भोपाल नगर निगम कार्यालय में नगर निगम अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें दायित्व सौंपा। कोविड सहायता केन्द्र स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम के सहयोग से संचालित होंगे। नगर निगम की गाड़ियाँ एलाउंसमेंट के जरिये इसकी जानकारी भी देंगी। हर केन्द्र का एक नोडल अधिकारी के साथ एक डॉक्टर (Doctor) की सेवाएँ ली जायेंगी।

सारंग ने कहा कि इन केन्द्रों पर लोगों को जाने के लिये प्रेरित करने के उद्देश्य से जन-प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जोड़ने के भी निर्देश दिये गये हैं। केन्द्र में आये गंभीर कोरोना पॉजिटिव मरीज को फीवर क्लीनिक और अन्य अस्पतालों के लिये लाइनअप किया जायेगा।इस मौके पर भोपाल कलेक्टर (Bhopal Collector) अविनाश लवानिया, नगर निगम आयुक्त  के.व्ही.एस. चौधरी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी सहित जिले के अनुविभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

सारंग ने कहा है कि नगर निगम के अधिकारियों एवं पदस्थ डॉक्टरों के लिये यह चुनौती भरा कार्य है, इसे सोशल वर्कर के रूप में करें। सहायता केन्द्र की लोकेशन लोगों की पहुँच में हो, इसका ध्यान रखा जाये। उन्होंने निर्देश दिये कि एसडीएम अपने क्षेत्र में हर छोटे-बड़े अस्पताल की अद्यतन स्थिति का आकलन करते रहें। छोटे अस्पतालों की भी इस संकट की घड़ी में महत्वपूर्ण भूमिका है।

बता दे कि नगर निगम के 19 जोन हैं। हर जोन में 2-2 कोविड सहायता केन्द्र खोलने जाने से इनकी संख्या 38 हो जायेगी। इससे मरीजों को फायदा होगा और फीवर क्लीनिक सहित अन्य अस्पतालों की भीड़ में कमी आयेगी।अभी 47 फीवर क्लीनिक भोपाल में संचालित हैं।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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