GMC Saraswati Suicide Case : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में गायनिक विभाग में तीसरे वर्ष की छात्रा सरस्वती सुसाइड केस में डॉ. अरुणा कुमार को एचओडी पद से हटा दिया गया है। इसकी पुष्टि गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन दफ्तर से जुड़े सीनियर डॉक्टर ने की है। जिसे लेकर जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दी थी। जिसका आज चौथा दिन है। इसी बीच एचओडी को लेकर कई बड़े खुलासे हो रहे हैं। जिनके कारण छात्रों में खौफ था।
शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
बता दें कि पिछले 6 महीने में तीन जूनियर डॉक्टर डिग्री छोड़ चुके हैं जबकि एक जूनियर डॉक्टर बीते 2 महीने से उपस्थित नहीं हो रहा। डॉक्टरों का कहना है कि कॉलेज जाने के बावजूद भी डॉ. अरुणा रजिस्टर में गैर हाजिरी लगाती थी। उनका खौफ इतना था कि किसी की भी उनके खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं हुई। हालांकि, उनमें से कुछ डॉक्टरों ने उनके खिलाफ डीन, राज्यपाल, डीएमई और प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग में शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
3 स्टूडेंट ने छोड़ी डिग्री
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डॉ. अरुणा की प्रताड़ना के कारण जूनियर डॉक्टरों को 36-36 घंटे की ड्यूटी करवाई जाती थी। जिसके कारण उनकी सेहत बिगड़ गई थी। इसके अलावा, दूसरे कंसल्टेंट से बात करने पर क्लास जॉइन नहीं करने की सजा दी जाती थी। ऐसे कठोर टॉर्चर के कारण कई डॉक्टरों ने डिग्री छोड़ दी।
जानें पूरा मामला
दरअसल, गांधी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती ने रविवार रात को बेहोशी के ओवरडोज इंजेक्शन लेकर आत्महत्या कर ली थी। जिसके पास से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था, जिसमें विभाग के तीन सीनियर महिला डॉक्टरों को मौत का जिम्मेदार बताया। जिसके बाद कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दी और उचित कार्रवाई की मांग करने लगे। वहीं, हड़ताल के कारण 40 से ज्यादा सर्जरी स्थगित कर दी गई है। जिसके कारण मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।