बंद कमरे में फांसी के फंदे पर झूलता हुआ मिला छात्र का शव, पुलिस कर रही जांच

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। शहर के निशातपुरा क्षेत्र से आत्महत्या का मामला सामने आया है। जहां अपनी बहन के साथ रहने वाले एक 20 साल के छात्र ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया है। मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, जिसके चलते आत्महत्या का कारण स्पष्ट नहीं है। वहीं मौके पर पहुंची पुलिस पूछताछ में जुट गई है। जानकारी के मुताबिक मृतक छात्र के पास मोबाइल फोन नहीं था, जिसके चलते वो परेशान रहता था। वहीं मृतक के पिता ने बीते 25 अगस्त को फोन दिलाने की बात कही थी। पुलिस ने शव बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मार्ग कायम कर जांच में जुट गई है।

पुलिस ने बताया कि मृतक छात्र राजगढ़ के रहने वाला था, जिसका नाम बंटी राजपूत था, जोकि 20 साल का था। मृतक बंटी अपनी बड़ी बहन के साथ रहता था। मृतक की बहन आरती राजपूत प्राइवेट कंपनी में जॉब करती थी। मृतक स्कूल में पढ़ता था पर कोरोना वायरस के चलते स्कूल बंद होने के कारण वो एक मेडिकल स्टोर में काम करने लगा था।

सुबह उसकी बहन जॉब पर चली गई थी, पर वो तबियत ठीक नहीं होने के चलते काम पर नहीं गया था। शाम को आरती राजपूत घर लौटी तो कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। कई बार खटखटाने के बाद जब दरवाजा नहीं खुला तो उसने इसकी सूचना किराएदार को दी। जिसके बाद मकान मालिक ने खिड़की से झांककर देख तो छात्र फांसी पर लटका दिखा। जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव बरामद कर पोस्टमोर्टम के लिए भेज दिया है।

बता दें कि 25 अगस्त को मृतक जब नरसिंहगढ़ में अपने गांव गया था तो उसने अपने पिता से मोबाइल दिलाने को कहा था। पिता ने उसे भोपाल आकर मोबाइल दिलाने की बात कही थी। वहीं घर की छानबीन करने पर पुलिस को दो पुराने मोबाइल मिले हैं, जो चालू हालत में नहीं हैं। पुलिस ने दोनो मोबाइल को जब्त कर लिया है और जांच मे जुट गई है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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