भोपाल।
स्थापना दिवस के पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लाल कृष्ण आडवाणी ने ब्लॉग लिखा है।ब्लॉग में आडवाणी ने बीजेपी की वर्तमान कार्यशैली और तौर तरीकों पर सवाल खडे किए है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी ने असहमति रखने वालों को कभी राष्ट्र विरोधी नहीं कहा।हमने कभी भी राजनीतिक विरोधियों को दुश्मन या देशविरोधी नहीं माना। बीजेपी हमेशा मीडिया सहित हमारे सभी लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता, निष्पक्षता और मजबूती की मांग करने में सबसे आगे रही है। आडवाणी के इस बयान का मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और उनका समर्थन किया है।
गौर ने आज शुक्रवार को अपने बंगले पर मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि आडवाणी ने सही कहा हैय़ अटल जी ने इंदिरा गांधी जी को दुर्गा कहा था यही हमारा आदर्श है। अटल जी को कश्मीर का पक्ष रखने के लिए इंदिरा जी और नरसिम्हा राव ने यूरोप में प्रतिनिधि बनाकर भेजा था, ये आदर्श राजनीति है। डेमोक्रेसी में कभी हम कभी वो विपक्ष में रहेंगे। वही उन्होंने कहा कि देश के खिलाफ बोलने वाले, देश के टुकड़े करने वालो को हम देश द्रोही नही कहते, ये उनकी समझ है। क्या अपने घर के टुकड़े करने का कौन सा महान काम कर रहे है, जोड़ने का काम करना चाहिए। बीजेपी और अन्य देश की पार्टी वो किसी को देशद्रोही नही कहती।
ये लिखा है वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपने ब्लॉग में..
आडवाणी ने लिखा है कि मातृभूमि की सेवा करना तब से मेरा जुनून और मिशन रहा है, जब 14 साल की उम्र में मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा था। मेरा राजनीतिक जीवन लगभग सात दशकों से मेरी पार्टी के साथ अविभाज्य रूप से जुड़ा रहा है- पहले भारतीय जनसंघ के साथ और बाद में भारतीय जनता पार्टी के साथ। मैं दोनों ही पार्टियों के संस्थापक सदस्यों में से था. पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और कई अन्य महान, निस्वार्थ और प्रेरणादायक नेताओं के साथ मिलकर काम करना मेरा दुर्लभ सौभाग्य रहा है। मेरे जीवन का मार्गदर्शक सिद्धांत ‘पहले देश, फिर पार्टी और आख़िर में खुद’ रहा है. और हालात कैसे भी रहे हों, मैंने इन सिद्धांतों का पालन करने की कोशिश की है और आगे भी करता रहूँगा। भारतीय लोकतंत्र का सार अभिव्यक्ति का सम्मान और इसकी विभिन्नता है. अपनी स्थापना के बाद से ही भाजपा ने कभी उन्हें कभी ‘शत्रु’ नहीं माना जो राजनीतिक रूप से हमारे विचारों से असहमत हो, बल्कि हमने उन्हें अपना सलाहकार माना है। इसी तरह, भारतीय राष्ट्रवाद की हमारी अवधारणा में, हमने कभी भी उन्हें, ‘राष्ट्र विरोधी’ नहीं कहा, जो राजनीतिक रूप से हमसे असहमत थे। सत्य, राष्ट्र निष्ठा और लोकतंत्र ने मेरी पार्टी के संघर्ष के विकास को निर्देशित किया। इन सभी मूल्यों से मिलकर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सुराज (गुड गवर्नेंस) बनता है, जिन पर मेरी पार्टी हमेशा से बनी रही। आपातकाल के ख़िलाफ़ ऐतिहासिक संघर्ष भी इन्हीं मूल्यों को बनाए रखने के लिए था। ये मेरी ईमानदार इच्छा है कि हम सभी को सामूहिक रूप से भारत की लोकतांत्रिक शिक्षा को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए. सच है कि चुनाव, लोकतंत्र का त्योहार है, लेकिन वे भारतीय लोकतंत्र के सभी हितधारकों – राजनीतिक दलों, मास मीडिया, चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों और सबसे बढ़कर मतदाताओं के लिए ईमानदारी से आत्मनिरीक्षण का एक अवसर है।