भोपाल। भाजपा की सरकार बनाने में अहम किरदार निभाने वाले नेता अब 15 वीं विधानसभा में नहीं दिखाई देंगे। 11 दिसंबर को विधायक के रूप में बाबूलाल गौर की 44 वर्ष लंबी पारी समाप्त होगी। गौर के अलावा, वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार, मंत्री कुसुम मेहदले, शहरी प्रशासन मंत्री माया सिंह, जल संसाधन राज्य मंत्री हर्ष सिंह और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीया भी 15 वीं विधानसभा में नहीं होंगे।
गौ सेवा करेंगे गौर
तीन दशक से अधिक समय तक सियासत में अपनी छाप छोड़ने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर अब गौ सेवा में अपना समय बिताएंगे। 15वीं विधानसभा के लिए हुए मतदान के नतीजे 11 दिसंबर को आना हैं। उनकी बहू कृष्णा गौर राजधानी की गोविंदपुरा सीट से चुनाव लड़ी हैं। 89 वर्ष के गौर दस बार से विधायक रहे हैं। लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। लिहाजा उनकी बहू को इस सीट से उतारा गया। अब गौर विधानसभा में नजर नहीं आएंगे। उन्होंने मीडिया को बताया कि वह अब अपना समय गौ सेवा, हिंदू समाज और राष्ट्रय निर्माण के लिए देंगे। उन्होंने बताया कि एक मुंगालिया कोटिया में उनकी एक एकड़ में गौ शाला है। जहां 11 गाय हैं। अब इनकी देखभाल और सेवा में गौर व्यस्त रहेंगे। उन्होंने कहा कि वह पहले जनता के सेवक थे अब गौ माता के सेवक के तौर पर काम करेंगे।
वहीं, वन मंत्री शेजवार भी 1977 में पहली बार विधायक चुने गए थे। उन्होंने सांची विधानसभा का सात बार प्रतिनिधित्व किया है। उनकी जगह पार्टी ने उनके बेटे मुदित शेजवार को टिकट दिया है। कैलाश विजयवर्गीय भी 1990 से छह बार से विधायक हैं। अब उनके पुत्र आकाश मैदान में हैं। कुसुम मेहदेले को भी इस बार टिकट नहीं दिया गया है। वह लगातार सोशल मीडिया पर टिकट काटे जाने को लेकर गुस्सा के इजहार करती रही हैं।