BHOPAL : जलवायु परिवर्तन बना स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती-कार्यशाला में हुआ मंथन

प्रशिक्षण में स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग, नगर निगम, शिक्षा विभाग, आयुष विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को हीट स्ट्रोक, जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव के बारे में जानकारी दी गई।

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BHOPAL NEWS : राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत  स्वास्थ्य विभाग भोपाल द्वारा प्रशिक्षण आयोजित किया गया। पर्यावरण एवं नियोजन संगठन (एपको ) में आयोजित प्रशिक्षण में गर्मी के मौसम में होने वाली समस्याओं और बीमारियों से बचाव के संबंध में जानकारी दी गई।

विशेषज्ञों ने समझाए हीट स्ट्रोक से बचाव के तरीके

प्रशिक्षण में स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग, नगर निगम, शिक्षा विभाग, आयुष विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को हीट स्ट्रोक, जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव के बारे में जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में पर्यावरण एवं नियोजन संगठन, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एवं महामारी नियंत्रण विशेषज्ञों द्वारा जलवायु परिवर्तन में हो रहे बदलाव के कारण गर्मी एवं बारिश के कम और ज्यादा होने, लोगों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों एवं आई एच आई पी पोर्टल के बारे में उन्मुखीकरण किया गया।

हीट स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान ज़रूरी
प्रशिक्षण में गर्मी से संबंधित बीमारियों के लक्षणों, बचाव के तरीकों एवं प्राथमिक उपचार की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण को संबोधित करते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ प्रभाकर तिवारी ने कहा कि पुलिस एवं नगर निगम कर्मचारी हीट एक्सपोजर में अधिक रहते हैं। इन लोगों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी जरूरी है। विशेषकर गर्मी के मौसम में लू एवं अन्य ग्रीष्म जनित बीमारियों से बचाव के लिए छोटे छोटे तरीकों को समझना ज़रूरी है। जिससे स्वयं का एवं अन्य लोगों का इन बीमारियों से बचाव किया जा सके। डॉ तिवारी ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा शैक्षणिक सत्रों में स्कूली छात्र छात्राओं को हीट स्ट्रोक से बचाव की जानकारी दी जावे। साथ ही पर्यावरण जागरूकता के प्रयास भी किए जाएं।

पर्यावरण प्रदूषण से अधिक प्रभावित

पर्यावरण प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को रोज खराब कर रहा है। गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग पर्यावरण प्रदूषण से अधिक प्रभावित होते हैं। इसका प्रत्यक्ष असर हमारे श्वसन तंत्र, त्वचा, आंखों पर सबसे पहले दिखाई देता है। स्वस्थ पर्यावरण हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। तंबाखू के धुएं और दूषित पर्यावरण क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज (सीओपीडी ) का प्रमुख कारण है। जिससे क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

जानलेवा हो सकता है हीट स्ट्रोक
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर डॉ रजनीश जोशी ने बताया कि हीट स्ट्रोक जानलेवा हो सकता है। तापघात की स्थिति में मरीज शॉक में चला जाता है। लू लगने की स्थिति में सबसे पहले मरीज को पानी पिलाकर शरीर के तापमान को कम करने के उपाय किए जाने चाहिए । सामान्य तापमान के पानी में कपड़े को भिगाकर शरीर पर मलना चाहिए। शरीर में पानी की कमी न हो इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाना जरूरी है।

छोटे छोटे उपाय हो सकते हैं पर्यावरण सुधार के बड़े कदम
पर्यावरण एवं नियोजन संगठन के रामरतन सिमैया ने जलवायु परिवर्तन की दिशा में किया जा रहे कार्यों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि सभी शासकीय विभागों एवं गैर सरकारी संगठनों के संयुक्त प्रयासों से जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रण में लाया जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए छोटे-छोटे उपाय को अपने दैनिक जीवन में अपना सकता है। सार्वजनिक वाहनों अथवा साइकिल का उपयोग, ट्रैफिक सिग्नल पर गाड़ी के इंजन को बंद करना ,पानी का अपव्यय कम करना, पेड़ पौधे लगाना, वर्षा जल का संग्रहण, सूखे एवं गीले कचरे को अलग अलग करना, एलईडी लाइट का इस्तेमाल, बिजली के उपयोग को कम करना, जैसे छोटे-छोटे तरीके आसानी से अपनाए जा सकते हैं।


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Sushma Bhardwaj

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