Bhopal News : देवकीनंदन ठाकुर ने सरकार से की मांग, विद्या के मंदिरों में बॉलीवुड के गानों पर बंद हो बहन-बेटियों का डांस

Amit Sengar
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Bhopal News : देवकीनंदन ठाकुर (Devkinandan Thakur) कथावाचन के साथ ही अपने बयानों के लिए हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं इन दिनों वे भोपाल के दशहरा मैदान में श्रीमद् भागवत कथा कर रहे हैं। उनके पंडाल में हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। 6 दिन पूरे हो चुके हैं। इसी बीच सनातन और हिंदुत्व को लेकर दिया हुआ उनका बयान चर्चा में आ गया है। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि ”स्कूल कॉलेजों में बॉलीवुड गानों पर बहन बेटियों के नाचने का कार्यक्रम बंद होना चाहिए. मार्डन एजुकेशन ने बच्चों का चरित्र बेकार कर दिया है. आज की पीढ़ी कथाओं में जाना पसंद नहीं करती.” देवकी नंदन ठाकुर ने इशारों में लव जेहाद पर भी जमकर निशाना साधा। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत में यह कानून बनना चाहिए कि हर व्यक्ति सिर्फ अपने धर्म में ही शादी कर सके। कल शनिवार को भागवत कथा का अंतिम दिन है। इस दिन बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री भी भागवत कथा में शामिल होंगे।

जाति पंथ से ऊपर उठकर देश संस्कृति और संसाधनों की करें रक्षा

विश्व शांति सेवा समिति, भोपाल एवं मध्य प्रदेश भाजपा मंत्री राहुल कोठारी के तत्वावधान में भोपाल, मध्य प्रदेश में 2 से 8 अप्रैल तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के प्रारंभ में महाराज ने कहा कि जिन लोगों ने रामनवमी पर भगवान की शोभा यात्रा पर पत्थर बरसाए दुनिया के 57 देश ऐसे लोगों की पैरवी कर रहे हैं। पत्थर फेंकने वालों के पक्ष में बोला जा रहा है कि वह लोग भारत में असुरक्षित हैं। उन्होंने कथा पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि जाति पंथ से ऊपर उठकर देश संस्कृति और संसाधनों की रक्षा करें।

केंद्र और राज्य सरकार बनाए यह कानून

उन्होंने कहा कि लव जिहाद सिर्फ धर्मांतरण के लिए किया जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों को यह कानून बनाना चाहिए कि देश में सिर्फ अपने धर्म में ही कोई व्यक्ति विवाह कर सकेगा। उन्होंने कहा कि दूसरे धर्मों में विवाह करने से वर्णसंकर संतान पैदा होती हैं ना तो ऐसी संतान को स्वर्ग मिलता है और ना ही उसके पितरों को शांति मिल पाती है। आज श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस की शुरूआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज श्री ने सभी भक्तगणों को “मेरी भई श्याम संग प्रीत” भजन श्रवण कराया। आज कथा में अतिथि के रूप में संयोजक राहुल कोठारी, कीर्ति कोठारी, दिलीप सूर्यवंशी राकेश बंसल संजीव अग्रवाल, अनुपम चौकसे, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री प्रफुल्ल कांत क्षेत्रीय संगठन मंत्री चेतस सुखाड़िया, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर कार्यवाहक संतोष मीणा, सांसद प्रज्ञा सिंह, पूर्व सांसद आलोक संजर, भाजपा नेता राघवेंद्र शर्मा, चेतन भार्गव ने पूज्य महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया।

महाराज ने कहा कि पाकिस्तान जिसने हमेशा दूसरों के लिए कब्र खोदी, आज खुद उस कब्र में दफ़न होने के लिए तैयार है। सनातनी कभी किसी का बुरा नहीं करता, सनातनी सर्वे भवन्तु सुखिन की भावना बनाता है। जैसे मोबाइल को महीने, दो महीनों में अपडेट करना पड़ता है उसी प्रकार दिमाग को हर दिन अपडेट करना चाहिए। सभी सनातनी जाति से ऊपर उठकर, पंथ से ऊपर उठकर अपने देश अपनी संस्कृति और अपने संस्कारों की रक्षा करने के लिए एकजुट होकर सनातनी परंपरा का निर्वहन करते हुए अपने देश की रक्षा करने के लिए आगे बढ़ते रहिए। ये कार्य हम सभी को एक साथ करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत का युद्ध क्यों कराया था क्यूंकि बुराइयों को ख़त्म करने के लिए युद्ध का होना बहुत आवश्यक है। वो ये कहते हुए भी नजर आए कि पढ़े लिखे वो है जो खुद भी संस्कारों में रहे और दूसरों को भी संस्कार में रखें। अपने देश के प्रति सब को वफादार रहने चाहिए, अपने भगवान के प्रति सबको निष्ठावान रहना चाहिए, अपने माता-पिता के प्रति सबको कृतघन रहना चाहिए, बड़ों के प्रति विनम्र बना रहना चाहिए, मेरे जीते जी मेरे देश को कोई नुकसान नहीं पंहुचा सकता इस विचार के साथ सबको जीना चाहिए।

बिना साधना के भगवान का सानिध्य नहीं मिलता

कथा के दौरान उन्होंने कहा कि इस संसार में कोई किसी को दुख नहीं देता है, अगर कोई दुख देता है तो वो तुम्हारी आशा है। भगवान हर जगह है लेकिन मिलता उन्ही को है जो उस मार्ग पर चलता है। पूज्य देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि बिना साधना के भगवान का सानिध्य नहीं मिलता। द्वापर युग में गोपियों को भगवान श्री कृष्ण का सानिध्य इसलिए मिला, क्योंकि वे त्रेता युग में ऋषि – मुनि के जन्म में भगवान के सानिध्य की इच्छा को लेकर कठोर साधना की थी। शुद्ध भाव से की गई परमात्मा की भक्ति सभी सिद्धियों को देने वाली है। जितना समय हम इस दुनिया को देते हैं, उसका 5% भी यदि भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लगाएं तो भगवान की कृपा निश्चित मिलेगी। पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि गोपियों ने श्री कृष्ण को पाने के लिए त्याग किया परंतु हम चाहते हैं कि हमें भगवान बिना कुछ किये ही मिल जाए, जो की असम्भव है। महाराज ने बताया कि शुकदेव जी महाराज परीक्षित से कहते हैं राजन जो इस कथा को सुनता हैं उसे भगवान के रसमय स्वरूप का दर्शन होता हैं। उसके अंदर से काम हटकर श्याम के प्रति प्रेम जाग्रत होता हैं। जब भगवान प्रकट हुए तो गोपियों ने भगवान से 3 प्रकार के प्राणियों के विषय में पूछा। एक व्यक्ति वो हैं जो प्रेम करने वाले से प्रेम करता हैं। दूसरा व्यक्ति वो हैं जो सबसे प्रेम करता हैं चाहे उससे कोई करे या न करे। तीसरे प्रकार का प्राणी प्रेम करने वाले से कोई सम्बन्ध नही रखता और न करने वाले से तो कोई संबंध हैं ही नही। आप इन तीनो में कोनसे व्यक्ति की श्रेणियों मेंआते हो?

भगवान ने कहा की गोपियों! जो प्रेम करने वाले के लिए प्रेम करता हैं वहां प्रेम नही हैं वहां स्वार्थ झलकता हैं, केवल व्यापर हैं। आपने किसी को प्रेम किया और आपने उसे प्रेम किया, ये बस स्वार्थ हैं। दूसरे प्रकार के प्राणियों के बारे में आपने पूछा वो हैं माता-पिता, गुरुजन, संतान भले ही अपने माता-पिता के , गुरुदेव के प्रति प्रेम हो या न हो लेकिन माता-पिता और गुरु के मन में पुत्र के प्रति हमेशा कल्याण की भावना बनी रहती हैं। लेकिन तीसरे प्रकार के व्यक्ति के बारे में आपने कहा की ये किसी से प्रेम नही करते तो इनके 4 लक्षण होते हैं- आत्माराम- जो बस अपनी आत्मा में ही रमन करता हैं। पूर्ण काम- संसार के सब भोग पड़े हैं लेकिन तृप्त हैं। किसी तरह की कोई इच्छा नहीं हैं। कृतघ्न – जो किसी के उपकार को नहीं मानता हैं। गुरुद्रोही- जो उपकार करने वाले को अपना शत्रु समझता हैं। श्री कृष्ण कहते हैं की गोपियों इनमे से मैं कोई भी नही हूं। मैं तो तुम्हारे जन्म जन्म का ऋणियां हूँ। सबके कर्जे को मैं उतार सकता हूँ पर तुम्हारे प्रेम के कर्जे को नहीं। तुम प्रेम की ध्वजा हो। संसार में जब-जब प्रेम की गाथा गाई जाएगी वहां पर तुम्हे अवश्य याद किया जायेगा। श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस द्वारिका लीला, सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष, व्यास पूजन पूर्णाहुति का वृतांत सुनाया जाएगा।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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