MP में उद्यानिकी फसलों का उत्पादन 390 लाख मीट्रिक टन पहुंचा, बना देश का अग्रणी राज्य

मंत्री कुशवाह ने कहा कि संरक्षित खेती की नवीन तकनीक को और लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है किसान शासन की अनुदान व प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ उठाएं। उन्होंने हॉर्टिकल्चर के साथ-साथ फ्लोरीकल्चर को भी अपनाने की सलाह किसानों को दी।

Minister Narayan Singh Kushwaha

Bhopal News : मध्य प्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने कहा है कि संरक्षित खेती की नवीन तकनीक के इस्तेमाल से किसान फसल उत्पादन को दो गुना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसान समृद्ध होगा, तभी देश और प्रदेश समृद्ध बनेगा। मध्य प्रदेश में गत वर्षों में उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्रदेश में इनका उत्पादन साढे चार लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 390 लाख मीट्रिक टन हो गया है। मध्य प्रदेश उद्यानिकी फसल उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य बन चुका है।

उद्यानिकी मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने यह बात राष्ट्रीय बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत “संरक्षित खेती की तकनीकी और फसल प्रबंधन” विषय पर भोपाल में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में फसल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रोत्साहन योजनाएं और मार्गदर्शी कार्यक्रमों का संचालन केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है। अब शिक्षित युवाओं द्वारा भी कृषि को रोजगार के रूप में अपनाना प्रारंभ किया गया है।

हॉर्टिकल्चर के साथ-साथ फ्लोरीकल्चर को भी अपनाने की सलाह

उद्यानिकी मंत्री ने कहा कि युवा किसान फसल की बोनी से पूर्व मिट्टी के परीक्षण, मिट्टी की माँग के अनुसार उर्वरकों का उपयोग और पॉली हाउस जैसे संरक्षित फसल तकनीक से अपना उत्पादन बढ़ा रहे हैं। कुशवाह ने कहा कि संरक्षित खेती की नवीन तकनीक को और लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है किसान शासन की अनुदान व प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ उठाएं। उन्होंने हॉर्टिकल्चर के साथ-साथ फ्लोरीकल्चर को भी अपनाने की सलाह किसानों को दी। संगोष्ठी में प्रदेश और प्रदेश के बाहर से आए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को नवीन तकनीकों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की जा रही है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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