शिवराज सरकार का बड़ा फैसला, अब मनाया जायेगा “ग्राम गौरव दिवस”, सीएम ने कही बड़ी बात

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश को देश का अग्रणी विकसित प्रदेश बनाने की कोशिश कर रही शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने गांवों को विकसित करने के लिए इससे ग्रामीणों को सीधे जुड़ने के नई योजना बनाई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि अब मध्य प्रदेश में “ग्राम गौरव दिवस” (Gram Gaurav Diwas) मनाया जायेगा।  उन्होंने अप्रैल महीने तक ग्राम गौरव दिवस की तिथियां तय करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने आज गुरुवार को ग्राम गौरव दिवस मनाने के संबंध में विस्तार से चर्चा की।  उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि मध्य प्रदेश अगर एक शरीर है, तो इसके 53 हजार गांव इस शरीर की धड़कन हैं। इन गांवों के विकसित करना है और आगे ले जाना है। अक्सर बात बात होती है कि सरकार कर लेगी। केवल सरकार के करने से गांव का विकास नहीं होगा। उसमें जनता की भी अपनी भागीदारी आवश्यक है।

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उन्होंने कहा कि जिस गांव में हम पैदा हुए, उस गांव के प्रति हमारा भी कुछ कर्तव्य है। जिस माटी में हमने जन्म लिया उसका कर्ज है हम पर और उस कर्ज को हमें उतारना है। अपने लिए तो सभी जीते हैं। अपने लिए जिए तो क्या जिए, जीता वास्तव में वही है जो गांव के लिए भी जीता है।

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उन्होंने कहा कि मैं अपने गांव के लिए क्या कर सकता हूं, क्या करूंगा। इस सोच और विचार के साथ हमने गांव के गौरव दिवस को मनाने का निश्चय किया आइए हम लोग विचार करें कि अपने गांव को आगे बढ़ाने के लिए हम मिलकर सरकार के साथ क्या कर सकते हैं। मेरे मन में गांव के गौरव दिवस मनाने का आया। पिछले दिनों मेंने अपने जैत गांव का गौरव दिवस मनाया। इतना उत्साह है कि जिसकी कल्पना नहीं कर सकते।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव का गौरव दिवस किसी विशेष तिथि, पर्व, विशिष्ट व्यक्ति से जुड़ी तिथि, मेला इत्यादि हो सकता है। अप्रैल माह तक गांव के गौरव दिवस की तिथि सब मिल-जुलकर तय कर लें। गांव अपने विकास का मास्टर प्लान भी बना ले। गांव के गौरव दिवस को आनंद का माध्यम बनाएं। खेलकूद के साथ गीत-संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रखें। बच्चों, युवाओं, महिलाओं के साथ बुजुर्ग जनों के लिए भी प्रतियोगिताएं उन्हें आनंदित करेंगी, इसका भी समावेश रखें।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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