सिंधिया समर्थकों के कारण अटकी BJP प्रदेश कार्यकारिणी, ग्वालियर-चंबल नेताओं को मिलेगा मौका

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। बीजेपी (BJP) की नई कार्यकारिणी की घोषणा को लेकर संगठन के बड़े नेताओं को चिंता होने लगी है। प्रदेश अध्यक्ष (State President) बनने के बाद एक लंबा समय वीडी शर्मा (VD Sharma) को हो गया है, लेकिन उनकी नई टीम फाइनल नहीं हो पा रही है। टीम में राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Rajyasabha MP Jyotiraditya Scindia) के किन समर्थकों को जगह दी जाए और किन पदों पर इसे लेकर पार्टी में मंथन चल रहा है। इस पर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है।

पहले मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion) के कारण भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी का गठन रोक दिया गया था। हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (VD Sharma) और सुहास भगत ने सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhaan) और नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomer) के साथ दो दौर की बातचीत हो चुकी है, पर ग्वालियर में हाल ही में बड़ी तादाद में पार्टी में शामिल हुए सिंधिया समर्थकों में से किसे मौका दिया जाए पर बात अटक गई है। उप चुनाव (By-election) को देखते हुए पार्टी बेहद सतर्क है और वह नहीं चाहती कि कार्यकारिणी के गठन के बाद किसी तरह का असंतोष उभरे जिसका असर उपचुनाव पर पड़े। लिहाजा अब एक-एक नाम दिल्ली में आला नेताओं की राय से तय किए जाने का फैसला किया गया है।

टल सकता है उपचुनाव तक टीम गठन
संगठन सूत्रों की मानें तो नाम पर एक राय नाम बनने पर उपचुनाव तक वीडि शर्मा अपनी टीम के गठन को टाल सकते हैं। गौरतलब है कि करीब 2 साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे रहे राकेश सिंह भी नई टीम नहीं बना पाए थे और उन्होंने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान द्वारा गठित टीम के साथ ही काम चलाया था।

विद्यार्थी परिषद के आधा दर्जन नेताओं को मिल सकता है मौका
सूत्रों की मानें तो विद्यार्थी परिषद में लंबे समय तक सक्रिय रहे वीडी शर्मा की टीम में परिषद ने करीब आधा दर्जन नेताओं को पद से नवाजा जाएगा। यह सभी 40 साल से कम उम्र के नेता हैं। इसमें से तीन से चार नेता इन दिनों प्रदेश भाजपा कार्यालय में सक्रिय भी है। भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में 10 उपाध्यक्ष, 10 प्रदेश मंत्री और चार महासचिव बनाए जाने हैं। इनमें से एक महासचिव अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग का होगा इसके अलावा एक महासचिव का पद किसी महिला नेत्री को दिया जाने का तय किया गया है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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