लोकसभा चुनाव : संकट में भाजपा, एमपी की इन सीटों पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत

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भोपाल।

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की तर्ज पर अब कांग्रेस लोकसभा चुनाव भी जीतना चाहती है, इसके लिए कांग्रेस ने अभी से रणनीतियों पर काम करना शुरु कर दिया है। कर्जमाफी के बाद कांग्रेस का सबसे पहला फोकस वादों पर है। सरकार लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले वादों को पूरा कर जनता के बीच पहुंचना चाहती है।वही हार के बाद मंथन कर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा भी मोदी सरकार के अंतरिम बजट की लोकलुभावन घोषणाओं के दम पर मैदान में उतर मोर्चा संभालने की तैयारियों में जुट गई है। खबर है कि चुनाव से पहले दोनों दलों द्वारा क्षेत्रों का फीडबैक लिया गया है, ताकी यह पता लगाया जा सके कि विधानसभा चुनाव के बाद कहां कैसी स्थिति है।

भाजपा में जहां कई क्षेत्रों की स्थिति गंभीर और खराब आई है वही कांग्रेस कर्जमाफी और वादों के बाद एक मजबूती के साथ उभरी है। प्रदेशभर में कांग्रेस की लहर है और ‘वक्त है बदलाव’ का नारे की गूंज अब भी सुनाई पड़ रही है, हालांकि भाजपा के लिए यह चिंता का विषय है।अगर भाजपा की रिपोर्ट की बात करे तो 18 सासंदों की स्थिति खराब है। नोटबंदी, जीएसटी, एससीएसटी और आरक्षण जैसे फैसलों के बाद भाजपा कमजोर हुई  है।हालांकि भाजपा को लगता है कि 20 सीटें वो आसानी से जीत जाएगी जबकि उसकी 9 सीटें डेंजर जोन में हैं,जिनमें से तीन कांग्रेस की परंपरागत सीट हैं। वही कांग्रेस को जो रिपोर्ट मिली है उसमें 12 सीटों में जीतने की स्थिति, पांच सीटों पर मेहनत के बाद जीतने की गुंजाइश और 12 सीटें डेंजर जोन में मानी हैं। वहीं 

इन सीटों पर आसानी से जीत हासिल कर सकती है कांग्रेस

– ग्वालियर

– भिंड

– मुरैना

– बैतूल

– राजगढ़

– धार

– मंडला

– शहडोल

– छिंदवाड़ा

– गुना

– रतलाम

– देवास

इन सीटों पर कांटे की टक्कर होने की संभावना

– मंदसौर

– होशंगाबाद

– खंडवा

– सतना

– खजुराहो

इन सीटों पर भाजपा की अच्छी पकड़

– भोपाल

– इंदौर

– जबलपुर

– विदिशा

– बालाघाट

– खरगौन

– रीवा

– सीधी

– दमोह

– सागर

– टीकमगढ़

– उज्जैन


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