भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार प्रदेश में विकास के लिए अपने संसदीय क्षेत्र और लंबे समय से उनके गृहनगर रहे छिंदवाड़ा की बात करते हैं और पूरे मध्य प्रदेश का विकास छिंदवाड़ा की तर्ज पर करने की बात करते हैं। लेकिन उन्ही की नाक के नीचे छिंदवाड़ा जिले के पातालकोट में पर्यटन विभाग ने नियमों की धज्जियां उड़ा कर भ्रष्टाचार का जो खेल किया उस पर अब तक सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
आदिवासी बहुल पातालकोट के ऊपरी हिस्से बीजाढाना को दिल्ली की निजी कंपनी यूरेका कैंप आउटस प्राइवेट लिमिटेड को जिस तरह सौंपा गया वह यह बताता है कि मध्य प्रदेश में नियम कायदे नाम की कोई चीज नहीं। पर्यटन विभाग की तत्कालीन एमडी छवि भारद्वाज के द्वारा दो बार टेंडर अयोग्य करने के बावजूद जैसे ही छवि का तबादला हुआ प्रमुख सचिव हरि रंजन राव ने तीसरे टेंडर में यूरेका कंपनी को योग्य मान लिया। इतना ही नहीं यूरेका कंपनी को जमीन का आधिपत्य दिलाने के लिए खुद हरि रंजन राव ने प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री की हैसियत से तत्कालीन कलेक्टर को निर्देशित किया कि वह कंपनी को कब्जा दिलाएं।
हैरत की बात यह है कि सरकारी जमीन पर लीज या लाइसेंस देने के लिए कैबिनेट का अनुमोदन होना जरूरी है लेकिन प्रमुख सचिव हरि रंजन राव ने इन सारी चीजों को दरकिनार करते हुए यूरेका कंपनी के पक्ष में जमीन आवंटित कर दी। हैरत की बात यह है कि इस तरह की गड़बड़ झाले सामने आने के बावजूद मुख्यमंत्री कमलनाथ इन मामलों पर कोई गंभीर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं जबकि कांग्रेस ने वचन पत्र में साफ कहा था कि भ्रष्टाचार के सारे मामलों की परत दर परत में पड़ताल करेगी और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी। इस पूरे मामले में एक और चौंकाने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ रहे अधिकारियों को बचाने का ठेका प्रदेश के मुख्य सचिव पद पर रह चुके एक अधिकारी ने लिया हुआ है जो लगातार कमलनाथ की किचिन कैबीनेट और इन अधिकारियों के बीच में एक सेतु का काम कर रहा है। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ कुछ लोगों ने शिवराज सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर रहे कुछ अधिकारियों को बचाने की सुपारी ले ली है और वह कमलनाथ तक वास्तविकता पहुंचने ही नहीं दे रहे।