आयोग : जेल कर्मियों की लापरवाही बनी बंदी की मौत की वजह, सरकार एक महीने में परिजनों को दे 5 लाख

Published on -

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने राज्य शासन से विचाराधीन बंदी की मौत पर मृतक के वैध वारिसों को पांच लाख रूपये एक माह में देने की अनुशंसा की है। आयोग ने उपजेल बुढार में विचाराधीन बंदी सज्जू उर्फ साजिद द्वारा फांसी लगा लेने से उसकी मौत के मामले में यह अनुशंसा की है। मामले में आयोग ने पाया कि जेलकर्मियों की लापरवाही के कारण मृतक के जीवन जीने के अधिकार और उसके मानव अधिकारों की घोर उपेक्षा हुई। अनुशंसा में आयोग ने यह भी कहा है कि राज्य शासन जेलों में अत्यंत जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं (जिसमें बंदियों को चिकित्सकों की स्थाई उपलब्धता, मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों की सेवायें एवं परामर्श भी शामिल हैं) की समीक्षा करके समय-सीमा तयकर इसे और अधिक सुदृढ़ करायें।

शिक्षा विभाग में निकले 29 हजार पद, जल्द करें आवेदन

जेल विभाग के कर्मचारियों को बंदियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के अधिकारों की जानकारियां, विशेषकर बीमार, मनोरोग से ग्रसित तथा शारीरिक रूप से कमजोर बंदियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की निगरानी के विषयों पर, लगातार प्रशिक्षण राज्य शासन द्वारा आयोजित करवाया जाये। इसके अलावा जेल नियमावली के नियम 671 एवं 672 का अक्षरशः पालन सुनिश्चित किया जाये। दोषसिद्ध पूर्व के आपराधिक बंदियों एवं सिद्धदोष आपराधिक बंदियों के अनुशासन, भोजन, वस्त्र, बिस्तर, नियोजन, मुलाकात से संबंधी प्रावधानों के पालन के लिये जेल स्टाॅफ को संवेदनशील बनाने के लिये उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाये।

प्रकरण के अनुसार शहडोल जिले की बुढार उपजेल में 30 जुलाई 2020 को विचाराधीन कैदी सज्जू उर्फ साजिद खान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। कैदी के परिजनों ने जेलर पर हत्या का आरोप लगाया था। साजिद ने दो माह पहले ही हत्या के प्रयास के मामले में सरेंडर किया था। उसने गमछे को बांधकर फांसी लगा ली थी। इसके बाद कैदियों ने जमकर हंगामा किया था। मृतक की मां ने जेलर पर आरोप लगाया था कि सुबह दस बजे बेटे से उन्होने फोन पर बात की थी, तो उसने बताया कि उसकी तबीयत खराब है, लेकिन जब वह दवा लेने जेलर के पास गया, तो उसने दवाई देने की जगह गाली-गलौज की। इस मामले में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने उपजेल बुढार के उप जेलर से घटना का सम्पूर्ण रिकार्ड एवं प्रतिवेदन मांगा था।


About Author

Harpreet Kaur

Other Latest News