भोपाल। लोकसभा चुनाव में किसान प्रमुख मुददा बना हुआ है। दोनों प्रमुख दल कांग्रेस एवं भाजपा किसान को वोट बैंक के रूप में भुनाने में जुटे हैं। इस बीच मप्र में गेंहू उत्पादक किसानों को 160 रुपए प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि देने पर केंद्र एवं राज्य सरकार में ठन गई है। केंद्र की ओर से इंकार किया है कि यदि राज्य समर्थन मूल्य के अतिरिक्त राशि देता हैतो यह केंद्र एवं राज्य के बीच हुए करार का उल्लंघन है। ऐसे में भारतीय खाद्य निगम जरूरत के अलावा गेहूं केंद्रीय पूल में नहीं लेगा।
दरअसल केंद्र गेहूं पर 160 रुपए प्रोत्साहन राशि देने के राज्य सरकार के फैसलो को बोनस मान रहा है। केंद्र सरकार इसके करार का उल्लंघन मान रही है। इसके आधार पर भारतीय खाद्य निगम ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सालाना लगने वाले गेहूं से ज्यादा लेने से इनकार कर दिया है। खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि इस बारे में हमने अपना पक्ष रख दिया है।
कमलनाथ सरकार ने डेढ़ महीने पहले जय किसान समृद्धि योजना के माध्यम से गेहूं उत्पादक किसानों को 160 रुपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि देने का फैसला किया है। इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि खेती की लागत बढ़ गई है। पिछले साल भी दो हजार रुपए क्विंटल गेहूं के किसानों को मिले थे। इसमें 265 रुपए की प्रोत्साहन राशि तत्कालीन शिवराज सरकार ने दी थी। इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य 1 हजार 840 रुपए हो गया है। इसके ऊपर 160 रुपए राज्य सरकार देगी। केंद्र सरकार की एजेंसी भारतीय खाद्य निगम प्रोत्साहन राशि को बोनस के रूप में ले रही है। उसने एक अप्रैल को पत्र लिखकर कहा कि राज्य और केंद्र सरकार के बीच 23 अगस्त 2016 में करार हुआ था। इसमें साफ था कि समर्थन मूल्य के ऊपर कोई बोनस नहीं दिया जाएगा। यदि ऐसा होता है तो सार्वजनिक वितरण प्रणाली सहित अन्य योजना में लगने वाले गेहूं के अलावा सेंट्रल पूल में नहीं लिया जाएगा।