भोपाल।
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद आज प्रदेश में कांग्रेस कोर ग्रुप की अहम बैठक बुलाई गई है। बैठक मुख्यमंत्री निवास में शाम सात बजे होगी। इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस के सभी बड़े नेता और सांसद शामिल होंगे। बैठक में लोकसभा चुनाव में मिली हार पर मंथन किया जाएगा साथ ही PCC में बड़े बदलावों पर चर्चा हो सकती है। खबर है कि इस बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी आ रहे हैं जो तीन दिन मप्र में ही रहेंगे।यह पहला मौका होगा जब सिंधिया हार के बाद किसी बैठक में शामिल होंगें।आने वाले चुनाव को देखते हुए यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है।
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करीब पांच महिनों बाद बुलाई जा रही इस बैठक में हार पर मंथन, प्रदेश संगठन में बदलाव और हारे हुए नेताओं की नई भूमिका पर चर्चा की जाएगी। नए अध्यक्ष को लेकर भी चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है।इसके अलावा भाजपा द्वारा सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों की सूचनाओं के आधार पर असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों व सहयोग दल व निर्दलीय विधायकों को किस तरह अपने साथ रखा जाए, इस पर भी विचार किए जाने के संकेत हैं।
वही बैठक में संगठनात्मक बदलाव पर भी विचार-विमर्श होगा। कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए निगम-मंडलों में जल्द नियुक्तियों के लिए भी बात की जाएगी। बैठक में पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों के कामकाज ब्यौरा पेश होगा जिसमें निष्क्रिय नेताओं की संगठन से छुट्टी की जाएगी। कांग्रेस के सामने इस समय हार से निराश और संगठन की कार्यप्रणाली से नाराज कार्यकर्ताओं को फिर से आत्मविश्वास से भरकर काम में लगाना बड़ी चुनौती है। बैठक में इस बारे में रणनीति तैयार की जाएगी। बड़े नेता अपने-अपने समर्थकों को नए सिरे से संगठन की गतिविधियों में लगाने की जिम्मेदारी उठाएंगे। कर्ज माफी जैसी बड़ी योजना के क्रियान्वयन के बाद भी प्रदेश में मिली हार के पीछे के कारणों को जानने के लिए चुनावी समीक्षा भी की जाएगी।
प्रदेश अध्यक्ष चुनना आसान नही
ज��नकारों का मानना है कि कांग्रेस के लिए नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन आसान नहीं होगा, क्योंकि भले ही गुटबाजी दिखाई न दे, लेकिन इस समय वह राज्य में चरम पर है। इन स्थितियों में एक सर्वमान्य अध्यक्ष आसानी से चुना जा सकेगा, इसमें संदेह बना है। जब कमलनाथ अध्यक्ष चुने गए थे, तब पार्टी में विरोध इसलिए नहीं हुआ, क्योंकि अधिकतर नेता उनसे उपकृत थे वहीं इस दौरान सिंधिया को मुख्यमंत्री पद की आस थी, जिसके चलते वे भी मैदान मे नहीं आए। इसके अलावा कमलनाथ समन्वय में खास महारत रखते हैं।वहीं अब सिंधिया की हार जहां उनके अध्यक्ष पद के लिए रोड़ा बन रही है, वहीं सिंधिया के कुछ समर्थक सिंधिया की हार के लिए कांग्रेस के ही कुछ बड़े नेताओं को जिम्मेदार मानते हैं। जिसके चलते अब वे उन्हें हर कीमत पर अध्यक्ष पद पर बैठाना चाहते हैं।खैर कौन अध्यक्ष बनता है इसका फैसला तो पार्टी हाईकमान को ही करना है चुंकी आगामी चुनाव नजदीक है, ऐसे में देरी कांग्रेस के लिए फिर चुनौती साबित हो सकती है।