भोपाल। पार्षदों के द्वारा महापौर चुनाव का ऐलान होने के बाद कई पुराने नेताओं ने वार्डों में सक्रियता बढ़ा दी है यही वजह है वहां के नए कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है कि उन्हें फिर कैसे मौका मिलेगा।
-कांग्रेस के नए फार्मूले से नए चेहरों को मिल सकता है फायदा: महापौर का चुनाव पार्षदों के द्वारा कराए जाने की व्यवस्था लागू होने के बाद कांगे्स का नया फार्मूला से नए चेहरों को फायदा मिल सकता है। गलियारों में चर्चा है कि दो बार से ज्यादा पार्षद का चुनाव लडऩे वाले नेताओं को पार्टी इस चुनाव से दूर रख सकती है। इसे लेकर बड़े नेताओं के बीच बातचीत होने जा रही है। नए फार्मूले के तहत सीधे तौर पर इसका फायदा नए चेहरों को मिलेगा। पार्टी भी चाहती है कि नगर निगम चुनाव में नए चेहरों को आगे किया जाए। यही कारण है कि पुराने चेहरों को इससे दूर कर सिर्फ उनके अनुभवों को लाभ लिया जाए। पार्टी में यह प्रयोग अगर हुआ तो तय है कि नया चेहरा ही महापौर भी होगा।
-नए फार्मूला पर चर्चा जल्द: राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि अगर पुराने चेहरों पर सिर्फ महापौर की कुर्सी को ध्यान में रखकर टिकट दिया गया तो पार्टी में नए कार्यकर्ता बगावत कर सकते हैं। ऐसे में इस फार्मूले से दो काम एक साथ हो जाएंगे। पहला नए पार्षद के लिए नए चेहरे होंगे वहीं नए पार्षदों में से ही महापौर भी मिलेगा। फिलहाल यह फार्मूला अभी चर्चा में ही है लेकिन अगर वाकई इस पर अमल होने लगा तो कई नेताओं का नुकसान होना तय है।
-बन सकती है संरक्षक कमेटियां: कांग्रेस सूत्रों की माने तो कहा तो यह भी जा रहा है कि पुराने नेताओं की नारागी से बचने के लिए उन्हें नगर निगम में संरक्षक कमेटियों का हिस्सा बनाया जा सकता है। इसे संवेधानिक रूप भी दिया सकता है। हालांकि इस पर भी बात सिर्फ उपर ही उपर है। लेकिन इस तरह का प्रयोग हुआ तो इससे कई पुराने नेताओं को फायदा मिल सकता है सबसे ज्यादा उन्हें जो महापौर की दौड़ से बाहर हो जाएंगे।