भोपाल।
लोकसभा चुनाव से पहले टिकटों को लेकर में कांग्रेस में बड़ी उलझन हो गई है। अभी तक18 सीटों पर नामों की चर्चा हो पाई है, जिसमें केवल 6 सीटों पर सिंगल नाम तय किए गए है। सतना से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह , छिंदवाड़ा सीट से मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ, गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया और रतलाम-झाबुआ से कांतिलाल भूरिया (मौजूदा सांसद) का नाम फायनल माना जा रहा है।वही हाल ही में भाजपा और अन्य दलों से कांग्रेस में शामिल हुए नेताओं को भी टिकट देना कांग्रेस के सामने चुनौती बन गया है। चुंकी पैनल की चर्चा में कई बाहरी नेताओं के नाम भी सामने आए है। इन सभी नेताओं के नाम लोकसभा चुनाव के संभावित प्रत्याशी के तौर पर चल रहे हैं लेकिन स्थानीय समीकरणों के कारण इन नेताओं को टिकट मिलने का फार्मूला नहीं बन पा रहा है। ऐसे में पार्टी इसका तोड़ निकालने में जुटी है।इसके लिए सात मार्च को फिर स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक बुलाई गई है।
दरअसल, विधानसभा चुनाव की जीत ने कांग्रेस में लोकसभा चुनाव के दावेदारों की लंबी लाइन लग गई है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही कई दल के नेता पाला बदलकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। ऐसे करीब आधा दर्जन नेता हैं जो एक साल के दौरान पार्टी में शामिल हुए हैं और उनके नाम लोकसभा चुनाव के संभावित प्रत्याशियों के रूप में चर्चा में हैं। इन नेताओं में सरताज सिंह, रामकृष्ण कुसमरिया, अभय मिश्रा, प्रमिला सिंह और विद्यावती पटेल के नाम शामिल हो जो भाजपा और बसपा से आए हैं। इसके पहले पूर्व मंत्री वंशमणि वर्मा समाजवादी पार्टी में जाने के बाद वापस कांग्रेस में आए थे।कुसमरिया का दमोह, सरताज सिंह का नाम होशंगाबाद लोकसभा सीट से चर्चा में है तो अभय मिश्रा व विद्यावती पटेल का रीवा व प्रमिला सिंह का नाम शहडोल लोकसभा क्षेत्र से संभावित प्रत्याशी के तौर पर क्षेत्र में चर्चित बताए जा रहे हैं। कुसमरिया को दमोह से चुनौती देने के लिए कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रताप सिंह लोधी व पूर्व मंत्री राजा पटैरिया सामने हैं। सरताज सिंह को होशंगाबाद में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी और अभय व विद्यावती पटेल को रीवा में सुंदरलाल तिवारी जैसे जमे हुए कांग्रेस नेताओं के नामों से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बन पाने में बाधाएं खड़ी हैं। इसी तरह पूर्व भाजपा नेता प्रमिला सिंह को शहडोल में जिला पंचायत पदाधिकारी नरेंद्र मरावी और उप चुनाव में हारी प्रत्याशी हिमाद्री सिंह चुनौती के रूप में सामने हैं।
इन सभी नेताओं के नाम लोकसभा चुनाव के संभावित प्रत्याशी के तौर पर चल रहे हैं लेकिन स्थानीय समीकरणों के कारण इन नेताओं को टिकट मिलने का फार्मूला नहीं बन पा रहा है। वहीं, प्रदेश के शीर्ष नेताओं का दावा है कि अभी कई नेता उनके संपर्क में हैं जिन्हें रणनीति के तहत चुनाव के पहले कांग्रेस में शामिल किया जाएगा।स्क्रीनिंग कमेटी की दूसरी बैठक सात मार्च को दिल्ली में आयोजित की गई है, इसमें इस फॉर्मूले पर भी चर्चा की जाएगी। पहली बैठक प्रदेश प्रभारी महासचिव बाबरिया की अस्वस्थता के कारण अस्पताल में हुई थी और वहां अधिकांश सीटों पर चर्चा हो गई थी। लेकिन इस बैठक में उनके शामिल होने की पूरी संभावना है।माना जा रहा है कि दूसरी बैठक में कई सीटों पर प्रत्याशी चयन को अंतिम रूप दे दिया जाएगा लेकिन इसका ऐलान चुनाव की आचार संहिता लागू होने के बाद कभी भी जारी किया जा सकता है।