भोपाल।
बीते कुछ महिनों पहले ही विधानसभा में 15 सालों का वनवास काट सत्ता में आई कांग्रेस लोकसभा में ढेर हो गई। 20 -22 सीटों का दंभ भरने वाली कांग्रेस 29 में से केवल एक सीट जीत पाई।अब सवाल ये है कि इस हार का जिम्मेदार कौन..। वो विधायक जो हाल ही जीत कर सदन पहुंचे या फिर वो कमलनाथ कैबिनेट मे शामिल हुए मंत्री। हैरानी की बात तो ये है कि कैबिनेट के सभी मंत्री जो हाल ही में चुनाव बेहतर प्रदर्शन कर आए वे अपने बूथों पर ही पार्टी को वोट नही दिला पाए। जबकी मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें केवल अपने क्षेत्र की ही जिम्मेदारी दी थी , किसी और की नही बावजूद इसके कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत नही दिला पाए। यही वजह है कि प्रदेश की 29 में से 28 सीटें जीतने में भाजपा कामयाब रही। एक मात्र छिंदवाड़ा सीट भी कांग्रेस की कम और कमलनाथ के व्यक्तिगत जीत ज्यादा रही।चुंकी वे 9 बार यहां से सांसद रहे है इसी का परिणाम रहा कि वो बेटे नकुल को जीत दिला पाए, हालांकि जीत का अंतर कम रहा।
दरअसल, छह माह पहले कांग्रेस ने विधानसभा में शानदार प्र��र्शन किया और 114 विधायक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इनमें से 28 को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्री बनाया और पहली बार सभी के साथ समान व्यवहार करते हुए सीधे कैबिनेट मंत्री का दायित्व सौंपा गया। बीच में काम ठीक चलता रहा और इसके बाद लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया और मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों पर भरोसा जताते हुए लोकसभा चुनाव में अपने गृह क्षेत्रों में कांग्रेस को जिताने की जिम्मेदारी दे दी।साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि कोई भी दूसरे क्षेत्र में जाकर काम नहीं करेगा। ज्यादातर मंत्रियों ने इसका पालन भी किया पर यह काम नहीं आया। लोकसभा चुनाव के नतीजों से साफ है कि मंत्रियों की क्षेत्रों में अभी पकड़ वैसी नहीं हुई है कि वे दूसरे को जिता सकें।या फिर मंत्रियों ने पहले ही मान लिया कि देश में मोदी की लहर है इसके सामने ठीक पाना आसार नही, या फिर मंत्री उस तरीके से परफॉमेंस ही नही कर पाए जिस तरह से उन्होंने विधानसभा के दौरान अपनी जीत के लिए की थी। कैबिनेट के 22 मंत्री लोकसभा चुनाव में अपना किला (चुनाव क्षेत्र) सुरक्षित रखने में नाकामयाब रहे, सिर्फ छह मंत्री ही ऐसे रहे, जिनके यहां मोदी लहर अप्रभावी रही।
खास बात तो ये है कि कार्यकर्ताओं की फौज, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष टीम भी मैदान में मोर्चा संभाले हुई थी, खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी औऱ महासचिव प्रिंयका गांधी जैसे दिग्गज नेताओं के नेतृत्व में काम कर रहे थे, स्थानीय नेताओं ने भी कोई कमी नही छोड़ी बावजूद इसकी जीत हासिल नही हुई और करारी हार मिली।यहां तक की कई दिग्गज जिनकी साख दांव पर लगी थी वे भी अपने किले नही बता पाए जैसे सिंधिया और दिग्विजय । इसके अलावा राहुल गांधी की खास मीनाक्षी नटराजन और अरुण यादव, विवेक तन्खा और अजय सिंह भी जीत हासिल करने में असफल हुए।अब कांग्रेस में हार पर मंथन किया जा रहा है और पता लगाया जा रहा है कि आखिर चूक कहां हुई जो कांग्रेस छह महिनों से अर्श से फर्श पर आ गिरी…।