भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। अजीब किस्म की मूछें रखने का खामियाजा भुगतने वाले सिपाही राकेश राणा का निलंबन वापस (constable rakesh rana’s suspension back) हो गया है। उन्हें तत्काल अपनी आमद दर्ज कराने यानि ड्यूटी ज्वाइन करने के निर्देश दिए गए हैं। निलंबन के बाद राकेश राणा का मामला सोशल मीडिया की सुर्खियां बन गया था। गृह मंत्री तक ये मामला पहुँच गया था। निलंबन के बाद सिपाही राकेश राणा ने भी कहा कि निलंबन स्वीकार करूँगा लेकिन मूछें नहीं कटवाऊंगा।
एमटी पूल पुलिस मुख्यालय भोपाल में विशेष पुलिस महानिदेशक को-ऑपरेटिव फ्रॉड और लोक सेवा गारंटी के वाहन पर चालक के रूप में कार्यरत सिपाही 1555 राकेश राणा को सहायक पुलिस महानिरीक्षक प्रशांत शर्मा 7 जनवरी 2022 को एक आदेश निकालकर निलंबित कर दिया था।
सहायक पुलिस महानिरीक्षक को-ऑपरेटिव फ्रॉड और लोक सेवा गारंटी द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया था कि इस आरक्षक चालक का टर्न ऑऊट चेक करने पर पाया गया कि उसके बाल बढ़े हुए हैं और मूछ अजब डिजाइन से गले पर हैं जिससे टर्नआउट अत्याधिक भद्दा दिख रहा है।
आरक्षक चालक राकेश राणा को अपने टर्नआउट को ठीक रखने के लिए बाल और मूछ उचित ढंग से कटवाने के निर्देश दिए गए लेकिन उक्त आरक्षक द्वारा उपरोक्त आदेश का पालन नहीं किया गया और बाल और मूछ जस के तस बनाए रखने की हठ की गई जो यूनिफार्म सेवा में अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है और इस कृत्य का अन्य कर्मचारियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए उक्त आरक्षक राकेश राणा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।
मूछों के कारण एक पुलिस आरक्षक के निलंबन की खबर सोशल मीडिया की सुर्खिया बन गई। सोशल मीडिया यूजर्स ने कैप्टन अभिनंदन और उत्तरप्रदेश के डीजीपी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार की फोटो के साथ राकेश राणा की फोटो लगाकर वायरल की जिसमें तीनों की मूछें एक सी थी और निलंबन का विरोध जताया।
उधर निलंबित होने के बाद सिपाही राकेश राणा का बयान सामने आया कि मूछें मेरी शान है , मैं राजपूत समाज से हूँ, ये मेरे स्वाभिमान की बात है। उन्होंने कहा कि मूछें नहीं कटवाऊंगा। अब पुलिस उप महानिरीक्षक (कार्मिक)ने एक आदेश निकालकर राकेश राणा का निलंबन इस आधार पर वापस कर लिया कि ये आदेश सक्षम प्राधिकारी जारी नहीं किया गया था।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....