कोरोना के कहर के कारण इस बार शहर में सैंकड़ों परिवार के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। गणेश उत्सव नजदीक आ रहा है लेकिन प्रशासन ने कोरोना के बढते ग्राफ को देखते हुए इस बार शहर में गणेश पंडाल लगाने से मना कर दिया गया है। सिर्फ छोटी प्रतिमाओं को घर पर विराजमान करने की अनुमति है। इस मनाही से शहर में मूर्ति बनाने वाले 600 से ज्यादा परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
दरअसल मूर्तिकारों की बड़े साइज की मूर्तियां गणेश उत्सव के लिए बनकर लगभग तैयार हैं। इन मूर्तियों पर बस रंग होना ही बाकी हैं। लेकिन प्रशासन की गाइडलाइन के बाद मूर्तिकार बड़ी मूर्तियां नहीं बेच पाएंगे जिस कारण उन्हे लाखों का नुकसान हो रहा है। वहीं जिन छोटी मूर्तियों को बेचने की इजाजत मिली हैं, अब उन्हें बनाने में भी समय लगेगा।
शहर में ऐसे 600 परिवार हैं जो मूर्ति बनाने का काम करते हैं। मूर्तिकारों की मानें तो वो साल की शुरूआत से ही मूर्ति बनाने के काम लग जाते हैं। उनके पास इतना मटेरियल रहता है कि वो काम शुरू कर सकें। बाकि मटेरियल के लिए कर्जा लेकर सामान खरीद लिया जाता है। गणपति जी की एक बड़ी मूर्ति 25 से 40 हजार के बीच बिकती है। लेकिन इस बार इन बड़ी मूर्तियों से लाभ कमाना तो दूर लागत भी नहीं निकलने वाली जिससे मूर्तिकार परेशान हैं।
कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कोरोना वायरस संक्रमण के रोकथाम के लिए धारा 144 के तहत आदेश जारी किए हैं। आदेश के अनुसार कोई भी धार्मिक कार्य या त्यौहार का आयोजन सार्वजनिक स्थलों पर नहीं किया जाएगा और ना ही कोई धार्मिक जुलूस या रैली निकाली जाएगी। साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी प्रकार की मूर्ति, झांकी, ताजिए स्थापित नहीं किए जाएंगे। गणेश पूजा के लिए लोग अपने घरो में मूर्तियां स्थापित कर पूजा कर सकते हैं। ऐसे में अब मूर्तिकार अपने आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए सरकार से अपील कर रहे हैं कि वो उनकी सहायता करें।