CWC Meet: नरोत्तम मिश्रा का बड़ा बयान-वहां सबकुछ तय स्क्रिप्ट के मुताबिक होता है

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट
दिल्ली में आज कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की महत्वपूर्ण बैठक हो रही है, जिसमें सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) अपने इस्तीफे का ऐलान कर सकती है, लेकिन इसके पहले दिल्ली से लेकर भोपाल तक सियासत गर्म हो चली है। कांग्रेस का नया अध्यक्ष गांधी परिवार से ही होगा या गैर गांधी परिवार से इसको लेकर एमपी (Madhyapradesh) में कांग्रेस दो धडृ़ों में बंट गई है, वही बीजेपी (BJP) भी कांग्रेस (Congress) की जमकर घेरांबदी में जुट गई है। मुख्यमंत्री शिवराज के बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Narottam Mishra) का बडा बयान सामने आया है। नरोत्तम का कहना है कि कांग्रेस में नेतृत्व के लिए वैसे तो कई योग्य उमीदवार हैं। असल में कांग्रेस
ऐसा स्कूल है जहां विद्यार्थी चाहे जितनी मेहनत कर लें लेकिन फर्स्ट तो हेडमास्टर का बेटा ही आएगा। वहां सब कुछ तय स्क्रिप्ट के मुताबिक ही होता है।

वही मिश्रा ने ये भी कहा कि यह कांग्रेस का अन्यरिक मामला है, कांग्रेसी क्यों हमारी प्रतिक्रिया चाहते है, कांग्रेस में बहुत सारे योग्य उमीदवार है। सोनिया गांधी है, राहुल गांधी है, प्रियंका वाड्रा है , रेहान वाड्रा है औऱ भी कई योग्य उमीदवार है । कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को यह समझना जरूरी होगा की कांग्रेस वो विद्यालय है कहा कार्यकर्ता कितना ही पढ़ ले 1st तो हेडमास्टर का बेटा ही आएगा

कमलनाथ को  जमकर घेरा
वही पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमल नाथ (Former Chief Minister and PCC Chief Kamal Nath) के सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने के समर्थन पर नरोत्तम ने कहा कि कमलनाथ पहले धोखा सिंधिया को देकर खुद मुख्य मंत्री बन गए, इसलिए उन्हें लग रहा है यह भी ऐसा हुआ है। सुंदर मोड़ा दिख कर बुजुर्ग से शादी कर दी ।वास्तव में कांग्रेस अब टूटी है, बिखरी है अपना दोष किसी ओर पर मत डालो।

सिंधिया के समर्थन में उतरे नरोत्तम

वही ग्वालियर में भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंघिया के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को लेकर मिश्रा ने कांग्रेस को जमकर घेरा। मिश्रा ने कहा कि ये सभी विरोध एस्पांसर कार्यक्रम है और इन कांग्रेस के इन एस्पांसर कार्यक्रमो को विरोध नही, मानो एक दो महीने रुको हम आप को बताएंगे समर्थन।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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