मानवाधिकारों का हनन करने वाले पुलिस अधिकारी पर हो विभागीय कार्रवाई, फील्ड में न दी जाए पोस्टिंग

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BHOPAL  NEWS :  मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने एक मामले में पुलिस द्वारा प्रताडित चार पीड़ितों में प्रत्येक को 30-30 हजार रूपये क्षतिपूर्ति राशि एक माह में दे देने की अनुशंसा राज्य शासन से की है। घटना जबलपुर जिले में हुई, पर सभी पीड़ित सिवनी जिले के निवासी हैं। आयोग के  अनुसार जबलपुर जिले के बरगी थाना में पदस्थ उप निरीक्षक धर्मेन्द्र राजपूत ने जातिगत द्वेष की भावना रखते हुये चार युवकों क्रमशः अरविंद सूर्या, हिमांशु उर्फ शानू डेहरिया, शिवकुमार सतनामी एवं दिलीप सतनामी को पकड़ लिया और इन सभी पर मानसिक अत्याचार और इनका घोर अपमान करते हुये इनसे रूपयों की मांग की तथा चोरी के झूठे केस में फंसा देने की मंशा से इनको अनाधिकृत रुप से 36 घंटे हिरासत में रखकर चारों के साथ जमकर मारपीट भी की थी।

आयोग में शिकायत

घटना में पीडित/आवेदक ग्राम राहीवाड़ा, थाना बंडोल, जिला सिवनी निवासी अरविंद सूर्या ने 30 नवम्बर 2021 को उनके साथ हुई इस अमानवीय घटना की आयोग में शिकायत कर उन्हें न्याय दिलाने का अनुरोध किया था। आवेदन मिलते ही आयोग ने मामला दर्ज कर लिया और एसपी, जबलपुर से रिपोर्ट मांगी। आयोग ने मामले की सतत् सुनवाई की और अंततः राज्य शासन से अनुशंसा की है कि चारों पीड़ितों में प्रत्येक को 30-30 हजार रूपये क्षतिपूर्ति राशि एक माह में भुगतान कर दें। राज्य शासन चाहे, तो यह राशि दोषी उप निरीक्षक धर्मेन्द्र राजपूत से वसूल कर सकता है। आयोग ने यह भी कहा है कि दोषी उप- निरीक्षक को उसके कृत्य के लिये दिया गया विभागीय दंड अपर्याप्त है। अतः दोषी उप निरीक्षक की विभागीय जांच कराई जाये और उसे दिये गये दंड व उसके परिणाम से आयोग को भी अवगत करायें। इसी प्रकार उप निरीक्षक धर्मेन्द्र राजपूत को थाना बरगी, जबलपुर से तत्काल अन्यत्र पदस्थ किया जाये।

फील्ड में पदस्थापना नहीं दी जाये

राज्य शासन यह भी सुनिश्चित करे कि किसी भी व्यक्ति के मानव अधिकारों का हनन करने वाले पुलिस अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही करने के अतिरिक्त, उन्हें फील्ड में पदस्थापना नहीं दी जाये। जो पुलिस अधिकारी/कर्मचारी नागरिकों के मानव अधिकारों का हनन करते हैं, इनकी सूची बनाकर पुलिस मुख्यालय में रखी जाये। इसी प्रकार धारा 151 दंप्रसं में गिरफ्तार करके पेश किये जाने वाले व्यक्तियों के प्रकरणों का पर्यवेक्षण अधिकारी पूर्ण समीक्षा व परीक्षण करके ही अगली कार्यवाही करना सुनिश्चित करें, क्योंकि पुलिस द्वारा धारा 151 का अत्यधिक दुरूपयोग किया जा रहा है, जिसे रोकने के लिये जिला दंडाधिकारी (डीएम) एवं अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) की बहुत बड़ी भूमिका है।


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Sushma Bhardwaj

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