दिग्विजय सिंह ने लिखा CM शिवराज को पत्र, चिंता जताते हुए दी चेतावनी

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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है, दिग्विजय सिंह ने अपने इस पत्र में मध्यप्रदेश में दिन पर दिन आदिवासियों पर हो रहे जानलेवा हमलों पर चिंता व्यक्त की है। उन्हों पत्र में मध्यप्रदेश में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों और उत्पीड़न के एक मामले को इंगित करते हुए लिखा है कि कैसे 6 माह के भीतर एक 21 वर्षीय आदिवासी युवक राज्य सरकार के लिये गंभीर खतरा मान लिया गया। उन्होंने शिवराज सरकार पर हमलावर होते हुए लिखा है कि जोड़तोड़ से बनी यह सरकार आदिवासी वर्ग पर हो रही प्रताड़ना के मामले में मौन है।

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पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह न मध्यप्रदेश सरकार से मांग करते हुए मुख्यमंत्री को लिखा कि पुलिस मुख्यालय से किसी वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में एक दल गठित कर रामदेव काकोड़िया पर पुलिस द्वारा कराई गई मारपीट के मामले की जांच कराई जाये और कलेक्टर द्वारा जारी किये गये जिलाबदर के आदेश को रद्द किया जाये। पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि महामहिम राज्यपाल को भी इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए। इस प्रकरण के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह खातेगांव में 24 मई को होने वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।

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दिग्विजय सिंह का शिवराज को पत्र 

प्रिय श्री शिवराज सिंह चौहान जी,

प्रदेश में आदिवासी वर्ग पर अत्याचार के मामले दिनोंदिन बढ़ते जा रहे है। पुलिस और प्रशासन सत्ताधारी दल के संरक्षण में आदिवासियों पर खुलकर अत्याचार कर रहे है। सिवनी जिले में दो आदिवासियों को पीट-पीट कर मार डालने का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि देवास जिले में आदिवासी समाज के एक 21 वर्षीय कार्यकर्ता रामदेव काकोड़िया को पुलिस की मिलीभगत से कलेक्टर ने जिला बदर कर दिया।

इस मामले से जुड़े तथ्य बताते है कि आदिवासी वर्ग के संविधान प्राप्त मानवाधिकारों को किस तरह कुचला जा रहा है। देवास जिले की हरणगांव उप तहसील के रतनपुर ग्राम में रहने वाले 21 वर्षीय नौजवान रामदेव काकोड़िया को पुलिस की दलाली करने वाला रवि वर्मा नामक युवक 7 मई 2022 को थाने बुलाता है। जहां टी.आई. सुनील शर्मा ने मारपीट करते हुए गंदी-गंदी गालियां दी और नेतागिरी बंद करा देने की धमकी दी। इसके बाद वहां योजनाबद्ध तरीके से बैठे रामलाल यादव भाजपा के मंडल अध्यक्ष कचरू पटेल, आर.एस.एस. कार्यकर्ता अर्पित तिवारी द्वारा थाने में खड़े 15-20 गुंडों के सहयोग से रामदेव काकोड़िया को पटक-पटक कर मारा जाता है। अनुसूचित जनजाति का यह युवक गिड़गिड़ाते रहता है पर पुलिस बल की मौजूदगी में इस नौजवान को बुरी तरह पीटा जाता है। इसे हिंदू धर्म का विरोधी निरूपित किया जाता है। थाने में हुए जानलेवा हमले में रामदेव के पैर में डली राड भी खिसक जाती है। पहले सेे एक दुर्घटना के बाद रामदेव के पैर में राड लगी है।

मारपीट के बीच रामदेव दर्द से चीखता, कराहता रहा पर स्थानीय विधायक आशीष शर्मा का संरक्षण प्राप्त भाजपा और आर.एस.एस. के लोग उसे पीटते रहे। जब उसके हाथ, पैर और शरीर से खून आने लगा तो दूसरे कमरे में ले जाकर उसे हथकड़ी लगा दी गई। फिर उसे अस्पताल ले गये जहां डॉ. आशुतोष व्यास ने मेडिकल परीक्षण करते समय शरीर पर आई चोटों के निशान लिखने की जगह शरीर पर बने टेटू गिनते रहे। यहां डॉक्टर की भूमिका की भी जांच होनी चाहिये जो टी.आई. सुनील शर्मा के इशारे पर रिपोर्ट बना रहा था। जब पुलिस ने मारपीट का कोटा पुरा करा दिया तो जख्मी आदिवासी युवक रामदेव को धारा 151 में प्रकरण दर्ज कर कन्नौद जेल भेज दिया। यहां जेलर ने कैदी को जेल में बंद करने से पहले रामदेव के कपड़े उतारकर मेडिकल कराया। जिसमें उसके शरीर में चोटों के घाव पाये गये।

इसके बाद परिवार के लोग रामदेव काकोड़िया की जमानत के लिये सक्रिय हुए तो कार्यपालिका मजिस्ट्रेड तहसीलदार तीन दिन तक ऑफिस में ही नही बैंठे। क्योंकि तहसीलदार 10 मई की विधायक की रैली निकलने का इंतजार कर रहे थे। जब विधायक की रैली निकल गई तब रामदेव काकोड़िया को 10 मई की रात 8 बजे जमानत देकर छोड़ा गया। जेल से बाहर आने पर रामदेव ने अपनी चोटों का इलाज कराया और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ स्थानीय पुलिस पर मारपीट करने पर कार्यवाही कराने की मांग कर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में टी.आई. सुनील शर्मा के विरूद्ध अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम 1989 के तहत प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई। एस.पी. ने इस मामले की जांच ऐसे अति. पुलिस अधीक्षक को दे दी है जिन्हे स्थानीय विधायक का संरक्षण प्राप्त है और जो रेत खनन का हिसाब किताब रखते है।

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पुलिस इस मामले में जांच करती इससे पहले ही विधायक के राजनैतिक दबाव में कलेक्टर देवास ने 21 वर्ष के आदिवासी नौजवान रामदेव को जिलाबदर करने के आदेश जारी कर दिये। लगता है जैसे प्रदेश में आदिवासियों को अपने हक की आवाज लगाना ही गुनाह हो गया है। अपने जीवन के संघर्ष की यात्रा शुरू करने वाले नौजवान को उन मामलों में जिलाबदर किया गया है जो आदिवासी वर्ग पर हुए अत्याचार का विरोध करने पर दर्ज किये गये थे। भारत के संविधान का अनुच्छेद 19 किसी भी वर्ग को विरोध प्रदर्शन की आजादी देता है, लेकिन मध्यप्रदेश की पुलिस विरोध प्रदर्शन को गैर कानूनी मानकर मुकदमे दर्ज करती है।

नेमावर में पांच आदिवासियों की हत्या के विरोध में जब रैली निकाली तो इसी देवास पुलिस ने जिन लोगों पर प्रकरण दर्ज किये उनमें रामदेव काकोड़िया भी एक था। इसी प्रकार मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में बैतूल के एक आदिवासी की हत्या की गई तो रामदेव ने हत्यारों पर कार्यवाही के लिये विरोध प्रदर्शन किया। इस मामले में भी विरोध करना महंगा पड़ा और एफ.आई.आर. दर्ज कर ली गई। इस नौजवान पर गंभीर अपराध का एक भी प्रकरण नही है। सभी मामले संवैधानिक प्रदत्त अधिकारों से संबंधित है। यही नहीं ये सभी मामले वर्ष 2021 में सिर्फ 6 माह के दरम्यान आदिवासियों पर अत्याचार का विरोध करने पर दर्ज किये गये है। मध्यप्रदेश सरकार ने रामदेव काकोड़िया नामक एक ऐसे आदिवासी युवक को राज्य की सुरक्षा के लिये खतरा मान लिया। जिसने अपनी वैवाहिक जिंदगी 2 दिन पूर्व 5 मई 2022 को शुरू की थी। और कविता नाम की युवती को अपनी जीवन संगनी बनाते हुए सात फेरे लिये थे। रामदेव के हाथ की मेंहदी छूटने से पहले ही सत्तारूढ दल के राजनैतिक दबाव में उसे न सिर्फ हथकड़ियां पहना दी गई, बल्कि कलेक्टर ने जिलाबदर करने का आदेश जारी कर दिया। यह मामला मध्यप्रदेश में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों और उत्पीड़न की दास्तां बयां कर रहा है। कैसे 6 माह के भीतर एक 21 वर्षीय आदिवासी युवक राज्य सरकार के लिये गंभीर खतरा मान लिया गया। जोड़तोड़ से बनी यह सरकार आदिवासी वर्ग पर हो रही प्रताड़ना के मामले में मौन है। संभवतः मध्यप्रदेश के इतिहास में यह पहला मामला होगा जब 21 वर्ष का आदिवासी जिलाबदर जैसे फैसले का शिकार बना होगा।मैं मध्यप्रदेश सरकार से मांग करता हूँ कि पुलिस मुख्यालय से किसी वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में एक दल गठित कर रामदेव काकोड़िया पर पुलिस द्वारा कराई गई मारपीट के मामले की जांच कराई जाये और कलेक्टर द्वारा जारी किये गये जिलाबदर के आदेश को रद्द किया जाये।

दिग्विजय सिंह ने लिखा CM शिवराज को पत्र, चिंता जताते हुए दी चेतावनी

 

 

 

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Harpreet Kaur

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