BHOPAL AIIMS NEWS : एम्स भोपाल में पैथोलॉजी और लैब मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. तान्या शर्मा ने 15वीं एशियन कांग्रेस ऑफ पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी में ” सिकल सेल रोग से ग्रस्त भारतीय बच्चों में सिकल सेल नेफ्रोपैथी की शुरुआती पहचान में नोवेल बायोमार्कर्स की भूमिका” पर अपना शोध प्रस्तुत किया।
सिकल सेल नेफ्रोपैथी के महत्वपूर्ण प्रारंभिक परिवर्तन
बाल चिकित्सा नेफ्रोलॉजी कांग्रेस हाल ही में दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित की गयी थी । इस कांग्रेस में भाग लेने के किये विश्व भर से 387 प्रविष्टियां प्राप्त हुई थी। जिसमे से डॉ. शर्मा की वैज्ञानिक मौखिक प्रस्तुति को भी चुना गया था। इस सम्मलेन में कुल मिलकर 12 प्रस्तुतियां दी गयीं थी। उनकी प्रस्तुति में बचपन में प्रकट होने वाले सिकल सेल नेफ्रोपैथी के महत्वपूर्ण प्रारंभिक परिवर्तनों पर प्रकाश डाला गया। वयस्कता में रुग्णता और मृत्यु दर को कम करने के लक्ष्य के साथ, समय पर हस्तक्षेप के लिए प्रारंभिक चरण में इन परिवर्तनों की पहचान करना महत्वपूर्ण है। सिकल सेल रोग से बचे वयस्क लोगों की मृत्यु में गुर्दे की जटिलता एक महत्वपूर्ण कारण होता है।
सिकल सेल नेफ्रोपैथी की प्रारंभिक पहचान
डॉ. तान्या शर्मा ने सिकल सेल नेफ्रोपैथी की प्रारंभिक पहचान के लिए नए बायोमार्कर की भूमिका की खोज की आवश्यकता को रेखांकित किया। प्रस्तुति में बाल चिकित्सा सिकल सेल रोगियों में सिस्टैटिन सी, एनजीएएल, एनएजी और केआईएम1 जैसे बायोमार्कर की क्षमता का पता लगाया गया, जिससे नेफ्रोपैथी का शीघ्र पता लगाने और गुर्दे के कार्यों के सटीक अनुमान लगाए जा सके। डॉ. तान्या शर्मा का शोध भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की बहुकेंद्रित पहल, “इंडियन सिकल सेल नेफ्रोपैथी कंसोर्टियम” का एक हिस्सा है, जिसमे वे प्रमुख जांचकर्ता के रूप में भी कार्य करती हैं। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अजय सिंह ने डॉ. तान्या शर्मा को 15वीं एशियन कांग्रेस ऑफ पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी में उनकी प्रस्तुति के लिए बधाई दी है ।