भोपाल| देश के सबसे बड़े आर्थिक घोटाले ई टेंडर घोटाले में रोज नई-नई बातें सामने आ रही है। एक लाख करोड़ के करीब पहुंच चुके इस घोटाले में अब ईओडब्ल्यू का जांच का दायरा वर्ष 2013 तक पहुंच गया है। इस पूरे मामले में एक बड़ी हास्यास्पद बात सामने आ रही है। प्रमुख सचिव स्तर के एक आईएएस अधिकारी अब खुद को इस पूरे मामले का विसलब्लोअर साबित करने में जुट गए हैं।
आईटी विभाग के मुखिया रहते हुए उनका दावा है कि उनके कारण ही यह घोटाला उजागर हुआ। जबकि वास्तविकता यह है कि यह घोटाला सामने ही नहीं आता यदि लार्सन एंड टुर्बो कंपनी यानी L&T ने इसकी शिकायत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से ना की होती और फिर शाह के दबाव में प्रदेश सरकार को इसकी जांच के आदेश देने पर मजबूर होना पड़ता ।
एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने जब इस पूरे मामले की पड़ताल की तो जानकारी मिली कि वर्ष 2007 में भी ई टेंडर घोटालों में गड़बड़ी की शिकायत की गई थी लेकिन तत्कालीन प्रभारी आई एफ एस अधिकारी ने नेक्स्ट टेंडर कंपनी को क्लीन चिट दे दी थी। वर्ष 2014 में भी शिकायतों के बाद एमपीएसईडीसी ने ई टेंडर का ऑडिट कराया और एक बार फिर शिकायतों को नजरअंदाज करते हुए ई टेंडर को क्लीन चिट दे दी। इतना ही नहीं, विभाग के द्वारा ई टेंडर के बारे में लगातार की जा रही शिकायतों को भी नजरअंदाज किया जाता रहा। ऐसे में सवाल यह है कि विभाग के मुखिया होने के नाते वर्षों से चल रहे ई टेंडर घोटाले की जानकारी क्या आईएएस अधिकारियों को नहीं रही होगी और क्या यह लोग भी इस आपराधिक षडयंत्र का हिस्सा नहीं है। ईओडब्ल्यू को यह भी जांच करना बेहद जरूरी है कि आखिरकार अब खुद को व्हिसिल ब्लोअर बनाने वाले आईएएस अधिकारी इस मामले में किस हद तक खुद फंसे हुए हैं।