भोपाल।
राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा पा चुके मध्य प्रदेश के एक लाख करोड़ रू से ज्यादा के ई टेंडर घोटाले में अब एक नया खुलासा हुआ है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जल विकास निगम के अधिकारियों ने ई टेंडर घोटाले में दोषी पाई गई कंपनियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की बजाय उन कंपनियों की जमा अमानत राशि और सुरक्षा निधि राशि ,जो लगभग 108 करोड रुपए थी, वापस लौटा दी। जल विकास निगम के अधिकारियों ने यह कार्य किसके दबाब में किया यह समझ से परे है।
दरअसल मध्य प्रदेश जल निगम मर्यादित भोपाल के द्वारा 26 दिसंबर 2017 को निविदा क्रमांक 34 39 और 40 के माध्यम से (सतना बाणसागर ग्राम समुद्र पेयजल योजना लागत 1383 करोङ रुपए कुंडलिया ग्राम समुद्र के जल योजना लागत 656.83 करोङ रू और मोहनपुरा ग्राम समुद्र के जल योजना लागत 282.33 करोड़ रुपए) की निविदाएं आमंत्रित की गई थी। इस कार्य में निविदा कंपनियों में जीवीपीआर हैदराबाद, इंडियन हुमन पाइप लिमिटेड मुंबई, जेएमसी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड मुंबई की निविदा दरों में छेड़छाड़ पाई गई थी। निविदा दर कम होने की वजह से इन्हीं कंपनियों को ठेका भी दे दिया गया था। इस मामले में प्रतिद्वंदी कंपनी एल एन्ड टी की शिकायत के आधार पर प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी की जांच के बाद निविदा दरों में छेड़छाड़ की पुष्टि हुई और इन कंपनियों का ठेका निरस्त कर दिया गया। निविदा दोनों में छेड़छाड़ होने की पुष्टि होने के बाद भी जल विकास निगम के अधिकारियों ने दोषी कंपनियों के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं की उल्टी आनन-फानन में उनकी जमा अमानत राशि व सुरक्षा निधि राशि वापस कर उन्हें सहयोग प्रदान किया गया। अधिकारियों के इस कार्य से शासन को लगभग 108 करोड रुपए की राशि के नुकसान होने का अनुमान है। अब जब आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो द्वारा हाल ही में दोषी कंपनियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है इस खुलासे के बाद जल विकास निगम के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होने की उम्मीद है।