भोपाल।
मध्यप्रदेश में हजारों करोड़ खर्च होने के बाद भी कुपोषण खत्म होने का नाम नही ले रहा है। सरकार की योजनाएं कागजों पर ही क्रियान्वित हो रही है, जिसके कारण बच्चों, माताओं को इनका लाभ नही मिल पा रहा है।ताजा रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में 10700 से अधिक बच्चे गंभीर कुपोषण की श्रेणी में पाए गए हैं। इसके अलावा अन्य बीमारियों से पीड़ित बच्चों को भी चिन्हित किया गया है, जिन्हें बेहतर उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है।
दरअसल, मध्यप्रदेश में गत 10 जून से आगामी 20 जुलाई तक चल रहे दस्तक अभियान की राज्य नोडल अधिकारी डॉ. प्रज्ञा तिवारी ने मंगलवार को अभियान की प्रगति रिपोर्ट मीडिया को जारी की, जिसमें उन्होंने बताया कि दस्तक अभियान के अंतर्गत अब तक आंगनबाड़ी और सरकारी संस्थाओं से जुड़े स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने घर-घर पहुंचकर 29.61 लाख बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया और उनमें से 10 हजार सात सौ 36 बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार पाए गए ।
उन्होंने बताया कि गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों में से 2408 बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती कर उपचार दिया गया और उन्हें पोषण आहार दिया जा रहा है। वहीं, गंभीर एनिमिक (रक्ताल्पता) के चलते 539 बच्चों को रक्ताधान (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) किया गया। निर्जलीकरण वाले छह हजार सात सौ 37 बच्चों को संस्थागत उपचार दिया गया। प्रदेश में 10 जून से शुरू दस्तक अभियान 20 जुलाई तक जारी रहेगा। अभियान में दस्तक-दल गांवों में घर-घर पहुंचकर 5 वर्ष आयु तक के बच्चों की जांच करेंगे। कुपोषण और जन्मजात विकृतियों सहित संक्रमण से ग्रसित बच्चों को चिन्हांकित कर उनका उपचार भी किया जा रहा है।