एक ऐसा अधिकारी होने के नाते जिसने मध्य प्रदेश पुलिस और CRPF दोनों में काम किया है, मुझे कल यह देखकर बड़ा दुख हुआ कि ये दोनों बल इनकम टैक्स रेड के समय झड़प की स्थिति में आ गए।ये दोनों ही अनुशासित बल बुरी तरह से राजनीति के शिकार हो गए हैं।
पिछले कुछ दिनों से देश के अनेक भागों में इनकम टैक्स, CBI और ED इत्यादि के छापे हो रहे है। इन सभी कार्रवाइयों में जो मूलभूत बात है वह यह है कि ये सभी कार्रवाईयां केंद्र सरकार के विरोधी दलों से संबंधित लोगों के ऊपर ही हुई हैं। BJP के सत्ताधारी दल से संबंधित किसी भी व्यक्ति के ऊपर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है और भारत की जनता ये मानने से इंकार कर रही है कि उन लोगों पर कार्रवाई करने की कोई गुंजाइश नहीं है। इसी की प्रतिक्रिया स्वरूप अब विभिन्न राज्यों में केंद्रीय एजेंसियों का राज्य सरकारों द्वारा विरोध होने लगा है। देश ने कलकत्ता में CBI और स्थानीय पुलिस के बीच हुई झड़प के दुखांत नाटक को देखा है। विरोधी दलों ने केंद्र की सत्ताधारी पार्टी पर भारत के सभी संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगाये हैं।
यक्ष प्रश्न है कि क्या वर्तमान विरोधी दल सत्ता में आने के बाद इन सभी संवैधानिक संस्थाओं की कमजोरियों और लचीलेपन को समाप्त कर इन्हें इस प्रकार की बना देंगें कि जिससे भविष्य में इनके दुरुपयोग की कोई संभावना ही न बचे।भारत के बहत्तर साल के इतिहास पर निगाह डालने पर भविष्य के लिए निराशावादी होना स्वाभाविक है।कल ही एक विरोधी दल के नेता सत्तारुढ़ दल को चेतावनी देते हुए कह रहे थे कि उनके सत्ता में आते ही BJP प्रेसिडेंट अमित शाह के घर पर छापा पड़ जाएगा। क्या एक बार हम गुजरात पुलिस को भी राजनीतिक सेना की तरह काम करते हुए देखेंगे।
कुछ दिनों पहले CBI की गतिविधियों की प्रतिक्रियास्वरूप मैंने लिखा था कि इस देश के सभी राजनीतिक दलों में एक आश्चर्यजनक सहमति है कि सभी राजनीतिक दल बारी बारी से सत्तारूढ़ होने पर इन सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करने के अधिकारी होंगें। विपक्ष में रहते हुए उन्हें इन एजेंसियों की ज़ोरदार आलोचना करते हुए अपनी पारी का इंतज़ार करना चाहिए।
भारत की सभी राजनीतिक पार्टियां महान है और इसी लिए भारतीय प्रजातंत्र भी महान है !!