साहित्य विशेष: लोगों की मुहब्बत ने बढ़ा दीं मेरी जिम्मेदारियां : राहत

भोपाल। इज्जत, सम्मान, भरोसा, यकीन और अकीदा हमेशा जिम्मेदारियों को बढ़ा देते हैं। मेरे शहर, सूबे और देश ने अपनी मुहब्बतों के ताज से मेरे सिर पर जिम्मेदारियों का बड़ा बोझ रख दिया है। इसको निभाना मेरी प्राथमिकता भी है और इसके लिए मैं हमेशा तैयार भी रहता हूं और हमेशा रहूंगा। शुक्रगुजार अपने चाहने वालों का, आभारी हूं दुनिया के नामवर लोगों का और अहसानमंद हूं उन सबका, जिन्होंने मुझपर इतना भरोसा, प्यार, मुहब्बत और खुलूस लुटाया, मुझे अपने सिर-आंखों पर सजाया और एक-एक कर कामयाबी के हर पायदान पर चढऩे का रास्ता भी सुझाया।

जश्र-ए-राहत की कामयाबी से डॉ. राहत इंदौरी अभिभूत हैं और हर उस लम्हे को याद कर हर बात के लिए सारे कद्रदानों का शुक्रिया अदा करते हुए कहते हैं कि कोई भी पीर, अपने मुरीदों के बिना मुकम्मल नहीं हो सकता, वैसे ही कोई भी शायर, फनकार, कलाकार, अदाकार बिना अपने चाहने वालों की मुहब्बत के किसी मुकाम तक नहीं पहुंच सकता। वे अपने शुरूआती दिनों से लेकर देश-दुनिया के सफर पर नजर दौड़ाते हुए हर कामयाबी को अपने शहर, अपने सूबे और देश के हर चाहने वाले की नजर करते हैं। डॉ. राहत कहते हैं कि मुशायरों की मेहफिल से लेकर आम जिंदगी तक में मैंने हमेशा रिश्ते निभाने की कोशिश की है। मंच के रिश्तों को अपने शेर-ओ-गजल और श्रोताओं के गठबंधन से मजबूत करने की कोशिश करता रहा हूं। आम जिंदगी में अपनी पहुंच और गैर मौजूदगी को भी बरकरार रखकर उनमें कभी कोई कमी या ढ़ील आने जैसी गुंजाइश मैंने नहीं छोड़ी। डॉ. राहत अपने हर दोस्त, साथी, सखा, मंच के हमसफर और परिवार से लेकर रिश्तेदारों तक के सहयोग को कभी नहीं भुलाते। कहते हैं कि राहत ऐसे ही राहत नहीं बन जाते, उसके लिए मजबूत बैकअप और स्थायी मुहब्बतों की जरूरत होती है, जो मुझे मेरे-अपनों की मुहब्बतों और कुर्बानियों से हौसले के रूप में मिलता रहा है। जश्र-ए-राहत की कामयाबी को लेकर राहत कहते हैं कि यह महज एक कार्यक्रम या मुशायरा न होकर लोगोंं की मुहब्बतों का जलसा था, जिसके लिए न कार्यक्रम की तैयारियों से पहले सोचा गया था, न आयोजन के दौरान इसकी कल्पना थी कि ये मजमा इस हद तक पहुंचेगा कि शहर-ए-इंदौर के लिए एक तेहरीर, एक तवारीख और एक यादगार बनकर रह जाएगा। डॉ. राहत ने कार्यक्रम के दौरान उन पर मुहब्बत लुटाने वाले हर शख्स का शुक्रिया अदा करते हुए देशभर से आए मेहमानों का भी आभार माना, उनकी नवाजिशों और उदगार को अपना ईनाम माना है। उन्होंने सूबे और शहर से जुड़े सभी सियासी ओहदेदारों का भी शुक्रिया अदा किया है, जिन्होंने अपनी मसरूफियरत को दरकिनार रखकर कार्यक्रम में पहुंचकर अपनी मुहब्बतों से नवाजा। 


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