31वीं बार अमेरिका में मुशायरा पढेंगे मंज़र, एक माह में दर्जन से ज्यादा आयोजन

भोपाल। खान अशु।

तब उम्र का पड़ाव 31 वें पायदान पर रहा होगा, जब पहली बार अमेरिका में कलाम पेश करने का रुक्का हाथों में आया। शायरी का मजमा उस दौर तक इतना जम चुका था कि हिंदुस्तान भर में नाम और पहचान के साथ कुछ बेरुनी मुमालिक में कलाम की दाद मिल चुकी थी। लेकिन अमेरिका जाने के लिए महज 2-4 विदेश यात्राएं नाकाफ़ी ही मानी गई और बिना किसी लाग-लपेट अमेरिकी एम्बेसी ने सिरे से वीजा देने के लिए मना कर दिया। देश-दुनिया में शेर-ओ-कलाम के हवाले से खास पहचान रखने वाले शायर मंज़र भोपाली 22 अक्टूबर को अमेरिका में आयोजित मुशायरों की एक बड़ी श्रृंखला में शामिल होने के लिए रवाना हो रहे हैं। इस सफर की शुरुआत से पहले उन्होंने एक खास मुलाकात में अपने पिछले अमेरिकी सफर को लेकर कई रोचक बातें शेयर कीं।


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