भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद को किसान पुत्र कहते नहीं थकते। वह हर जनसभा में किसानों के लिए सरकार की योनजाओं का बखान लगाते हैं लेकिन उनकी विधानसभा में ही हालात उलट हैं। बुधनी विधानसभा में जल संकट विकास के दावों पर भारी है। सीएम के परिवार को भी इस मुद्दों को लेकर कई गावों में विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है। नसरूल्लाहगंज के आस-पास के गांवों में सिचांई पानी के समस्या जस की तस बनी हुई। लोगों ने बताया कि छह माह में एक बार नहर में पानी छोड़ा जाता है, वो भी एक माह के लिए।
स्थानीय लोगों और किसानों ने इस समस्या को लेकर कई बार अधिकारियों और नेताओं को अवगत करवाया लेकिन सिवाए वादे के उनको कुछ और नहीं मिला। बाकी पूरे समय पानी की समस्या से जूझना पड़ता है। वहीं रेहटी इलाके में जल संकट गहराया हुआ है रहवासियों को पिछले 5 सालों से पीने का साफ पानी नसीब नहीं हुआ है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि बीते पांत साल से पीने के साफ पानी की सप्लाई के कई बार दावे किए गए लेकिन आज तक साफ पानी मुहैया नहीं करवाया गया। पार्षद भी यहां समस्या के समादान करने में विफल रहे हैं। सीएम जब आते हैं तो वह भी वादा करजाते हैं। लेकिन उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकला है।
रेहटी की जनता ने पानी की समस्याओं और पीएम आवास ना होने की भी जानकारी देते हुए। उन्होंने पार्षदों पर भी आरोप लगाए उन्होंने कहना था कि पार्षदों ने काम नहीं किया है बल्कि अपना ही पेट भरा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जो लोग आपके करीबी शिवराज के जाते है, उनकी आय दोगुनी होगी है और उनके घर झोपड़ी से आज बड़े-बड़े और पक्के मकानों में तब्दील हो गए है। एक ही परिवार के कई लोगों को पीएम आवास के तहत पक्के मकान मिले हैं, लेकिन झुग्गीबस्ती में रहने वालो को अभी तक किसी भी तरीके की पीएम की योजनाओं और आवास से जुड़ी हुई योजनाओं का लाभ नही मिल पाया है।
जो मुख्यमंत्री के खास उनको मिल रहा लाभ
सीएम के विभानसभा क्षेत्र में छिंद गांव भी आता है। नर्मदा नदी के आसपास बसे गांवों का हाल भी कुछ ऐसा ही है। यहां पीने का पानी के लिए लोगों को पैदल चार से पांच किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। तब कही प्यास बुझती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विकास तो हुआ है लेकिन इस विकास का लाभ उन लोगों को मिल रहा है जो सीएम चौहान के खास हैं। जो कभी झोपडिय़ों में रह करते थे, वह आज पक्के मकानों में रह रहे है, लेकिन हमे आज भी झोपडिय़ों में ही रहने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि विकास तो हुआ लेकिन नर्मदा नदी से अवैध रेत उत्खनन का विकास हुआ। क्षेत्र में सबसे ज्यादा रेत के डंपर दौड़ रहे हैं। वह कहते है कि अगर छिंद गांव से नसरूल्लाहगंज जाना हो, तो 25 किलोमीटर का कच्चे रास्ते से होकर जाना पड़ता है। छह माह में एक बार नहर से पानी छोड़ा जाता है, बाकी समय से तो पानी की परेशानी से दो-चार होना ही पड़ता है। शिवराज ने अपनी विधानसभा में विकास तो खूब किया है, लेकिन आज भी लोगों पंद्राह सालों से मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है।