यात्री सिक्योरिटी चेकिंग के दौरान एयरपोर्ट पर अपना लैपटॉप भूला, जानें फिर कैसे मिला

Amit Sengar
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भोपाल,रवि नाथानी। आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां किसी को किसी की फ्रिक नहीं है, वहीं भोपाल एयरपोर्ट (bhopal airport) पर तैनात इंस्पेक्टर कुर्मी ने एक मिसाल कायम कर एक यात्री को उसका लैपटॉप मुंबई तक पहुंचा दिया वो भी कुछ ही घंटों में। इस यात्री का यह लेपटॉप सिक्योरिटी चैक में भूल गए थे।

अपने कर्तव्य से एक कदम आगे जाते हुए कुर्मी ने नागरिक सेवा तथा एक नवयुवक की तरह से मदद की यह अत्यधिक प्रशंशनीय है। शासकीय दायित्वों को पूरा करते हुए मानवीय और सामाजिक सरोकार की मिसाल कायम की है। सोमवार को जब सार्थक नामक यात्री अमेरिका उच्च अध्ययन के लिए एयर इंडिया की फ्लाइट से भोपाल से मुम्बई को चले तो उन्हें क्या पता था कि उनकी अगले दिन मुम्बई से अमेरिका जाने की योजना पर ही प्रश्नचिन्ह लग जायेगा। हुआ यूं कि सुबह जल्दबाजी में सिक्योरिटी चेक पर वे अपना लैपटॉप ही भोपाल एयरपोर्ट पर भूल गए और मुम्बई पहुंच गए उस लैपटॉप को छोडक़र जिसमे उनके सभी टिकट, पासपोर्ट और वीसा थे। काफी देर तक लैपटॉप को पड़ा देख सीआईएसएफ में पदस्थ इंस्पेक्टर पी एल कुर्मी को शंका हुई और उन्होंने उस लैपटॉप को चेक किया जिस पर मात्र सार्थक सिंह लिखा हुआ था। कर्तव्यपरायण अधिकारी श्री कुर्मी ने सभी यात्रियों की लिस्ट को चेक किया और भोपाल के सार्थक सिंह का नाम व फोन नंबर ढूंढ कर उन्हें सूचित किया।

यात्री सिक्योरिटी चेकिंग के दौरान एयरपोर्ट पर अपना लैपटॉप भूला, जानें फिर कैसे मिला

यात्री हुए हक्का बक्का
इंसपेक्टर कुर्मी ने पूरी पूछताछ की और जब पूछताछ में वे सही पाए गए तो उन्होंने यात्री से कहा कि आपकों घबराने की जरूरत नहीं, आपका लेपटॉप मेरे पास सुरक्षित रखा हुआ है, में स्वंम के व्यक्तिगत प्रयास से अगले कुछ घंटों में ही सार्थक के पास वह पूरा सामान उनके पास पहुंचा दिया।

क्या कहना है कुर्मी का
हम सब जनता के सेवक है,हम सब को अपने जॉब के प्रति ईमानदारी से काम करने की जरूरत है। आज जो मेने एक नेक कार्य किया है, उससे में बहुत खुश हूं,आगे भी में इसी तरह ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के साथ देश की सेवा करता रहूँगा और में दूसरे लोगों से भी यहीं अपील करूंगा की आप भी ईमानदारी की राह पर चले और देश सेवा में अपना योगदान दें।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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