भोपाल।
चित्रकूट में श्रेयांश व प्रियांश का अपहरण और उसके बाद उनकी हत्या के बाद पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। बच्चों के पिता ने तो सीधे पुलिस पर अपराधियों के साथ मिलीभगत और लापरवाही का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मामले में डीजीपी से 12 दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है। लेकिन कारवाई के लिए 12 दिन का इंतजार क्यों? एक आम आदमी की नजर से भी सोचें तो पुलिस की कार्यवाही में लापरवाही के यह बिंदु साफ नजर आते हैं…
लापरवाही इतनी की ख़ुदा भी माफ न करे
1 …नजदीकी रिश्तेदारों परिचितों से पूछताछ नहीं
2 ..ट्यूशन टीचर पर कोई शक नहीं
3.. घर घर तलाशी के कोई प्रयास नहीं
4 … बच्चो के पिता का फोन सर्विलांस पर नहीं
5 ..पिता को एक ही जगह से अलग अलग नंबर से कॉल किये जा रहे थे पर उन नंबरों से कोई पूछताछ नहीं
6.. नाक के नीचे दो दिन रखा। नाक के नीचे से निकाल ले गए
7 ..फिरौती का पैसा उत्तर प्रदेश चला गया और पता न चला
8 ..भगवान भरोसे रहे, एक जागरूक नागरिक गाड़ी का फोटो नही खिंचता तो पकड़ में भी न आते
9 ..संदिग्ध और उसके पिता से पूछताछ बहुत सामान्य तरह से
10 .. डीजीपी ने बारह दिन में घटना स्थल का दौरा तक नही किया
11.. पूरे 12 दिन सरकार ने कोई सख्ती के निर्देश नहीं दिए
12.. संदिग्ध ने जिस तरह अपहरण किया उससे साफ था कि बहुत नज़दीकी द्वारा अपहरण किया गया, फिर भी किसी पर शक नहीं
13 ..यूनिवर्सिटी से या शहर से अचानक गायब छात्रों की कोई तस्दीक नहीं
14 ..कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं था तब ऐसे नौसिखियों को पुलिस पकड़ न पाए तो गंभीरता समझी जा सकती है
आईने की तरह साफ लापरवाही के ये बिंदु लापरवाहों पर कार्रवाई के लिए पर्याप्त आधार है। यदि आप वास्तव में ऐसे नर पिशाचो के प्रति गंभीरता बरतने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करना चाहते हैं तो तत्काल कीजिए।