सुख और दुख जीवन के दो हिस्से, सहर्ष करें स्वीकार : साईं नारायण भजन स्वामी

Bhopal News : सुख और दुख जीवन के दो अभिन्न पहलु हैं। इन्हें सहर्ष स्वीकार करना चाहिए और विचलित नहीं होना चाहिए। ये बात शिकारपुर, सिंध पाकिस्तान से पधारे सिंधी समाज के प्रमुख संत नारायण भजन स्वामी जी ने कही। वे सोमवार देर रात भोपाल पधारे और रिज रोड स्थित समाधा आश्रम में प्रवचन देते हुए कहा कि सुख और दुख दोनों को ही हमें स्वीकार करना चाहिए। यदि दुख है, तो सुख निश्चित आएगा। सुख है, तो उसे ही सत्य न मान हमेशा तैयार रहें। यदि दुख आया तो हम इसे अपने कर्मों का फल मान कर उसे स्वीकार करेंगे। इस अवसर पर उन्होंने भगवान लक्ष्मीनारायण के कई भजन भी गाए। संत जी भोपाल में 1 दिसंबर तक प्रवचन देंगे। सोमवार को भोपाल पधारने पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने उनका स्वागत किया।

सद्भाव का मार्ग दिखाते हैं संत

सिंधी समाज की ओर से संत जी का स्वागत करते हुए डा. दुर्गेश केसवानी ने कहा कि “आग लगी आकाश में जर जर गिरे अंगार। संत न होते जग में तो जल मरता संसार।” उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा कि संत हमेशा सद्भाव का मार्ग दिखाते हैं। संतों के प्रवचनों से जो आशीर्वाद मिलता है, वो सदैव हमारे साथ रहता है। संतों की कृपा से संसार में सुख मिलता है और शरीर छोड़ने के बाद परलोक भी सुधर जाता है।


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”