एक हजार से अधिक उम्मीदवार बिगाड़ेंगे प्रमुख दलों का चुनावी समीकरण

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भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावी रण में इस बार एक हजार से अधिक निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से कई बीजेपी और कांग्रेस से अलग होकर आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। कहा जा रहा है निर्दलीय प्रत्याशी इस बार कांग्रेस औप बीजेपी का खेल बिगड़ सकते हैं। इनमें वह शामिल हैं जिनके टिकट काटे गए हैं। कुल मिलकार इस बार 121 राजनीतिक दल चुनावी मैदान में हैं। इनमें से कुछ तो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कुछ दल तो आंदोलन से उपजे हैं। बीजेपी ने जहां पूरी 230 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं तो वहीं, कांग्रेस ने 229 सीटों पर। आम आदमी पार्टी 208 और बीएसपी 227 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 

कांग्रेस ने जतारा की सीट पर लोकतांत्रित जनता दल से गठबंधन कर एक सीट दी है। वहीं, सपाक्स 109 सीटों पर चुनौति दे रही है, शोभित समाज दल 81 , शिवसेना 81 , गोंडवाना गणतंत्र पार्टी 73 , भारतीय शक्ति चेतना पार्टी 54 , बहुजन संघर्ष दल 50 , बहुजन मुक्ति पार्टी 34 , जन अधिकार पार्टी 32 , पीपुल्स पार्टी अॉफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) 26 , राष्ट्रीय लोक समता पार्टी 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 

2013 के विधानसभा चुनाव में तीन निर्दलीय प्रत्याशियों को जीत मिली थी। लेकिन इनका अपने क्षेत्र में काफी वर्चस्व था। वह पूर्व में कई दलों के बड़े ओहदों पर रहे थे। इस बार हालात अगल हैं। चुनावी जंग में खुद की जीत से अधिक प्रतिद्वंद्वियों को हरवाने के लिए कई प्रत्याशी खड़े हुए हैं। जो प्रमुख दलों के उम्मीदवारों को बड़ नुकसान पहुंचा सकते हैं। सर्वण आंदोलन से उपजी सपाक्स पार्टी आरक्षण के विरोध में अभियान चला रही है। उसी के दम पर राजनीति में कूदने का ऐलान भी कर दिया है। इनके उम्मीदवार भले जीत दर्ज न कर सकें लेकिन वह दूसरों की हार जीत के नतीजों को जरूर प्रभावित करेंगे। 


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