क्या आपको पता है किसी चीज को अचानक छूने पर क्यों लगता है करंट? जानिए इसके पीछे की वजह

क्या आपने गौर किया है कि जब आप किसी चीज़ या व्यक्ति को अचानक छूते हैं, तो एक करंट जैसा झटका आपको महसूस होता है? आखिर ऐसा क्यों होता है? क्या आपने इसके पीछे का कारण ढूंढने की कोशिश की है? यह बिजली का झटका बिल्कुल करंट की तरह ही महसूस होता है। चलिए, इसके पीछे का एक वैज्ञानिक कारण जानते हैं।

अक्सर जब हम किसी चीज़ या व्यक्ति को छूते हैं, तो हमें अचानक करंट जैसा झटका महसूस होता है। कई लोगों को इसके पीछे की वजह नहीं पता होती, हालांकि कुछ लोग इसके कारण को समझने की कोशिश करते हैं। हैरानी की बात यह है कि जब यह झटका लगता है, तो हम किसी भी प्रकार के वायर को नहीं छू रहे होते, फिर भी ऐसा करंट लगता है। यह झटका बिल्कुल असली करंट जैसा ही होता है। दरअसल, इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण होता है। चलिए जानते हैं कि असल वजह क्या है।

न सिर्फ दूसरे व्यक्ति को छूने पर, बल्कि कभी-कभी जब आप दरवाज़ा, कुर्सी या कुछ और अचानक छूते हैं, तो भी आपको करंट जैसा झटका महसूस होता है। लेकिन जब आप उसी चीज़ को दोबारा छूते हैं, तो आपको झटका नहीं लगता। आखिर इसके पीछे क्या वजह है?

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यह है इसके पीछे का कारण

करंट लगने के पीछे साइंस छुपा हुआ है। दरअसल, आप भी जानते होंगे कि हमारे आसपास जितनी भी चीजें हैं, वे सभी परमाणु यानी एटम से बनी हुई हैं। एटम बेहद छोटे होते हैं, जिन्हें सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। एटम तीन कणों से मिलकर बने होते हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन शामिल हैं। इन तीनों कणों के अपने-अपने चार्ज होते हैं—कोई पॉजिटिव होता है, कोई नेगेटिव और कोई न्यूट्रल। इलेक्ट्रॉन का चार्ज नेगेटिव होता है, प्रोटॉन का चार्ज पॉजिटिव और न्यूट्रॉन का चार्ज न्यूट्रल होता है। जब हमारे शरीर में एटम यानी प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन की संख्या बराबर होती है और इलेक्ट्रॉन न्यूट्रल रहता है, तो हमें किसी भी प्रकार का करंट महसूस नहीं होता।

क्या कहता है साइंस

लेकिन अगर इन तीनों का बैलेंस बिगड़ जाता है, तो यही करंट लगने की वजह बन सकता है। दरअसल, प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन का संतुलन बिगड़ना इसके पीछे की खास वजह है, जिससे इलेक्ट्रॉन्स उत्तेजित हो जाते हैं। आमतौर पर एटम में इलेक्ट्रॉन की संख्या संतुलित होती है, लेकिन अगर किसी वस्तु या व्यक्ति में इलेक्ट्रॉन्स की संख्या बढ़ जाती है, तो उसमें नेगेटिव चार्ज अधिक हो जाता है। यह नेगेटिव चार्ज जब किसी दूसरे व्यक्ति के पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन्स की ओर आकर्षित होता है, तो छूने पर झटका महसूस होता है। यह पूरा मामला तेज़ गति से ट्रांसफर होते इलेक्ट्रॉन्स के कारण होता है।

इसी तरह मौसम का भी इस पर असर होता है। आपने गौर किया होगा कि खासकर सर्दियों में ज्यादा करंट लगता है, क्योंकि सर्दियों में मौसम अक्सर ड्राई होता है और इलेक्ट्रिक चार्ज अधिक बनते हैं।


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Rishabh Namdev

Rishabh Namdev

मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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