नगर निगम चुनाव में निर्दलीय खुद डूबे औरों का भी बिगाड़ा गणित

Amit Sengar
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भोपाल, रवि नाथानी। नगर निगम चुनाव (municipal elections) इस बार बड़े ही दिलचस्प तरीके से हो गए। क्योंकि पिछले पार्षदों के कार्यकाल से जनता नाराज दिखी और नोटा सहित कांग्रेस के प्रत्याक्षियों को जीत दिलाई, वहीं इस बार के चुनाव में निर्दलीयों ने भी गणित बिगाड़ कर रख दिया, जिसमें वे खूद डूबे और दूसरों को भी डूबों दिया।

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चुनाव परिणामों के बाद अगर संतनगर जोन की बात करें तो पिछली बार के मुकाबले भाजपा का एक पार्षद कम आया है, वहीं कांग्रेस 1 वार्ड से 2 में जीत हासिल करने में सफल हुई है। इस बार भाजपा के मुकाबले कांग्रेस भारी पड़ती नजर आ रही थी, और 4 वार्ड में जीत हासिल करने के बहुत करीब थी, पर अंत में भाजपा ने 2 वार्ड जीतकर दबदबा कायम रखा। अंतिम समय में बड़ी मुश्किल से वार्ड-2 और वार्ड 4 के भाजपा प्रत्याशियों की डूबती नैया को किनारा मिल गया और कम अंतर से जीत दर्ज कर भाजपा पार्टी की लाज बचाई। वहीं वार्ड 1और वार्ड 5 जो की भाजपा का गढ़ है, इन दोनों वार्ड में कांग्रेस ने सेंधमारी करते हुए जीत हासिल की, पर कांग्रेस को वार्ड-3 खोना पड़ा। इन वार्डो के अलावा अन्य वार्डो में पूर्व पार्षदों के कार्यकाल से जनता की नाराजगी भी दोनो राजनीतिक दलों को झेलनी पड़ी है। पूर्व पार्षद जनता के बीच अपनी पहचान बनाने में सफल नहीं हुए थे।

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नगर निगम चुनाव में पार्टी से नाराज होकर चुनाव लड़े बागी उमीदवारों को तो भाजपा ने 6 साल के लिए निष्काशित कर दिया है, या अब उन नेताओं और कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई होगी। जिन्होनें भीतरघात किया है इस बार दोनों ही राजनीतिक दलों में भीतरघात होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। कहीं पर प्रत्याशी को लेकर नाराजगी थी, तो कहीं पर टिकिट नहीं मिलने से नेता नाराज थे। जो प्रत्याशियों पर भारी पड़ गई है कुछ तो खुले रूप से पार्टी को छोड़ दूसरे का काम खुले रूप से कर रहे थे। तो कुछ पर्दे के पीछे से रणनीति बना रहे थे। वार्ड-4 में तो यह अनुमान लगाना मुश्किल हो गया कि कौन किसका काम कर रहा है, और किसके साथ है। अब देखना यह है कि भाजपा और कांग्रेस या भीतरघात करने वालों की सूची बनाने के बाद कार्रवाई करती है या नहीं ।

ये गुरूर में हारे चुनाव

संत नगर के वार्ड क्रमांक पांच के भाजपा प्रत्याक्षी अपने गुरूर में चुनाव हार गए। जिस समय प्रचार प्रसार हो रहा था,उस समय कई लोगों ने इनके लिए तरह तरह के तंज कसे और कहने लगे की यह लोगों से चलते फिरते दुआ सलाम भी नहीं करते, तो चुनाव जीतने के बाद जनता की क्या सेवा करेगें। इस लिए जनता ने इन्हे ना पसंद कर दिया। चुनाव हारने के बाद इनकी शक्ल देखने लायक थी। वहीं इनके ही सामने कांग्रेस की टिकिट पर लड़ रहे वार्ड तीन के पूर्व पार्षद और वर्तमान में वार्ड पांच के पार्षद बेहद ही सरल व्यक्त्तिव रहे। साइलेंट तरीके से चुनाव लड़ा,मतदाताओं को भी अपनी और रीझाया और लगभग 580 वोटों से विजय श्री भी हासिल की।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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