पत्रकारीय कार्यशैली में उद्दंडता और स्वतंत्रता की महीन रेखा को समझना जरूरी-ममता यादव

भोपाल, ममता यादव | पत्रकारिता की दुनिया (पत्रकारीय कार्यशैली) में कुछ नियम अघोषित लेकिन अनिवार्य होते हैं। बहुत सारे नियम पत्रकारिता की पढ़ाई के दौरान पढ़ाए, समझाए भी जाते हैं। उनमें सबसे पहला नियम होता है कि किसी भी दंगे की रिपोर्टिंग में समुदाय या व्यक्ति का नाम नहीं लिखा जाएगा क्योंकि इससे सामाजिक माहौल और ज्यादा खराब होने की संभावना रहती है।

दूसरा नियम जो कि मध्यप्रदेश के अखबार नवभारत से शुरू हुआ आगे चलकर कई अखबारों ने इसे अपनाया कि बलात्कार की खबरों में दुष्कर्म शब्द का उपयोग न किया जाए और बलत्कार की खबरों को कुछ इस तरह से प्रस्तुत किया जाए कि समाचार जनता तक पहुंच भी जाए और रेप पीड़िता या उसके परिवार को दोबार एक मानसिक प्रताड़ना, लांछन उपेक्षा का सामना न करना पड़े। यह एक व्यवहारिक पक्ष है ओर इसके पीछे धारणा यह थी कि लड़की के साथ दुष्कर्म तो एक बार होता है लेकिन समाज, मीडिया और कोर्ट तक उसके साथ कई स्तरों पर यह अमानवीय व्यवहार किसी न किसी बहाने होता रहता है।


About Author
Sanjucta Pandit

Sanjucta Pandit

मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है। पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।