भोपाल/इंदौर।
प्रदेश का खजाना खाली है और सरकार के सामने वादों और विकासकार्यों को पूरा करने की चुनौती है। ऐसे में सरकार राजस्व को बढ़ाने के नित नए प्रयास कर है। इसके लिए शिवराज सरकार की कई योजनाओं को भी बंद किया गया है।लेकिन अब सरकार खजाने को भरने के लिए आबकारी नीति में बदलाव करने जा रही है। यह परिवर्तन केवल वर्ष 2019-20 के लिए ही लागू रहेगा। इसके बाद कांग्रेस सरकार शराब दुकानों की नीलामी करेगी।यह काम सरकार आचार संहिता से पहले करने की तैयारी में है, ताकी सरकार को लोकसभा चुनाव में इसका फायदा हो सके।बताते चले कि वादों को पूरा करने के लिए सरकार एक हजार करोड़ का लोन भी लेने जा रही है।
दरअसल, सत्ता में आते ही कांग्रेस आबकारी नीति में बदलाव करने की तैयारी मे थी, पहले यह नए वित्तीय वर्ष के लिए किया जाना था, लेकिन मार्च के पहले सप्ताह में लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लगने की संभावना है।ऐसे में सरकार फरवरी में ही लाइसेंस का नवीनीकरण कर अप्रैल से नया लाइसेंस जारी करना चाहती है।इसके लिए शराब ब्रिक्री लाइसेंस पर कारोबारियों से कम से कम 25 फीसदी तक राशि बढ़ाकर लेने जा रही है। पिछले तीन सालों से आबकारी नीति के हिसाब से शराब कारोबारी 15 फीसदी राशि बढ़ाकर शराब दुकानों का लाइसेंस ले रहे हैं, लेकिन इस बार लाइसेंस नवीनीकरण के लिए उन्हें कम से कम 25 फीसदी तक राशि बढ़ाकर देना होगा।चालू वर्ष में आबकारी से राज्य सरकार के खजाने में 9000 करोड़ रुपए आएंगे।
अगर पिछली बार की तरह सरकार इस बार भी 15 प्रतिशत लाइसेंस फीस बढ़ाती तो 1500 से 1800 करोड़ रुपए का फायदा होता, जो की खजाने की पूर्ति के लिए पर्याप्त नही था, इसलिए सरकार ने खजाने को भरने किए यह नीति अपनाई है। इससे राजस्व में ढाई से तीन हजार करोड़ रुपए की वृद्धि होगी। यानी सरकार को वर्ष 2019-20 में 12 हजार करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है। इसमें भी सबसे ज्यादा राजस्व इंदौर से करीब 800 से 1000 करोड़ रुपए और भोपाल से 550 से 600 करोड़ रुपए आता है। इंदौर में 150 और भोपाल में 90 के करीब दुकानें हैं। हालांकि यह व्यवस्था भी सिर्फ वर्ष 2019-20 के लिए ही होगी। इसके बाद आबकारी नीति में बदलाव करके कांग्रेस सरकार शराब दुकानों की नीलामी करेगी।