हाशिये पर रखा पर्यटन विभाग ने कमलनाथ का वचनपत्र

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भोपाल| आदिवासी बहुल पातालकोट के ऊपरी हिस्से बीजाढाना की जमीन को दिल्ली की यूरेका कंपनी को 11 लाख रुपए में देने का मामला अभी थमा भी नहीं था कि पर्यटन विभाग का एक और कारनामा सामने आ गया है|  पर्यटन विभाग ने अपने चार कालेजों में खुली भर्ती निकाल दी| जबकि इन संस्थानों में पहले से संविदा पर और एजेंसी के माध्यम से कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से कई तो 6  साल से अधिक से यहां संविदा आधार पर कार्यरत हैं। कमलनाथ सरकार के वचन पत्र जो हर विभाग के प्रमुख को प्रेषित किया गया है और कहा गया है कि इसे बिना अतिरिक्त वित्तीय भार के लागू करने के उपाय निकाले जाएं, आईएएस हरिरंजन राव द्वारा उसे भी अस्वीकार कर दिया गया है। 

इस भर्ती प्रक्रिया में पूर्व की सरकार में दी गई संविदा नीति को भी लागू नहीं  किया गया, बोर्ड ऑफ गवर्नेंस मीटिंग में बोर्ड के चेयरमैन हरिरंजन राव प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश पर्यटन एवं एम.डी. मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा उस संविदा नीति को सरकारी ऑटोनॉमस कॉलेजों के लिए अमान्य घोषित किया गया और बोला गया कि यह इन कॉलेज के लिए लागू नहीं होती। इसी के साथ बिना किसी भी ऑटोनोमस कॉलेज के प्राचार्य जो कि सेक्रेटरी भी है, उन्हें इस भर्ती प्रक्रिया से अलग करके और बिना कोई जानकारी प्रदान किए एक तीसरी संस्थान आईएचएम (इन्स्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट) को भर्ती की जिम्मेदारी सौंप दी गई है, जोकि किसी भी प्रकार से इन चारों संस्थानों की भर्ती के लिए भर्ती नियमों में उल्लेखित नहीं है, ना ही बी.ओ.जी. में इसका कोई निर्णय लिया गया, न ही संस्थान के प्रमुख अथवा प्राचार्य सेक्रेटरी के द्वारा मंजूरी ली गई। इसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं| 

आईएचएम (इन्स्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट) भोपाल अपने आप में एक ऑटोनॉमस कॉलेज है, ऐसी स्थिति में आईएचएम भोपाल द्वारा इस भर्ती प्रक्रिया का संचालन कई सवाल खड़े करता है और एक और गड़बड़झाले की और इशारा करता है| इसका सीधा असर उन संविदाकर्मियों पर पड़ेगा जो यहां सालों से कार्यरत हैं।  जब यह संस्थान मध्य प्रदेश शासन के अंतर्गत आते हैं तब इसे क्यों राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित किया गया, वह भी तब जब मुख्यमंत्री यह बोल चुके हैं कि अधिकतम पदों पर मध्य प्रदेश के मूल निवासियों को ही प्राथमिकता दी जाएगी।  आईएचएम भोपाल पहले से ही कई सारे मामलों को  लेकर जांच के घेरे में है, आईएचएम भोपाल के प्राचार्य फर्जी पीएचडी डिग्री के आरोपी पाए गए हैं और इस मामले की जांच चल रही है, इसकी शिकायत राष्ट्रपति भवन तक की जा चुकी है| जिसके बाद यह भर्ती प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में है|  

                      


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