भोपाल।
गठबंधन से सरकार बनाने में कामयाब हुई कांग्रेस इस बार विधायकों को टिकट देने के मूड में नही है। पार्टी के बड़े नेता पहले ही साफ कर चुके है कोई भी विधायक टिकट की मांग ना करे। हाल ही में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी आदिवासी विभाग के प्रदेश अध्यक्ष अजय शाह के जरिए सभी विधायकों को संदेश भी भेजा था कि वे चुनाव लडऩे के बारे में विचार न करें।बावजूद इसके विधायक टिकट की मांग किए हुए है है। कांग्रेस के करीब 12 आदिवासी विधायकों ने पार्टी के सामने अपनी दावेदारी पेश की है।विधायकों की इस दावेदारी ने पार्टी के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई है। चुंकी आदेश के बावजूद विधायक बगावती तेवर अपनाते हुए नजर आ रहे है। खैर पार्टी इससे उभरने का नया तरीका ढूंढ रही है ताकी लोकसभा चुनाव से पहले कोई अंतरकलह हो।
शहडोल लोकसभा सीट से पुष्पराजगढ़ से दो बार के विधायक फुंदेलाल मार्को , बड़वारा के विजय राघवेंद्र सिंह ,मंडला लोकसभा सीट से शहपुरा विधायक भूपेंद्र मरावी, बिछिया से दो बार के विधायक नारायण पट्टा, निवास से अशोक मर्सकोले और लखनादौन से योगेंद्र सिंह बाबा , खरगौन लोकसभा सीट से सेंधवा से विधायक ग्यारसीलाल रावत और पान सेमल से दूसरी बार की विधायक चंद्रभागा किराड़े ,बैतूल सीट से घोड़ाडोंगरी विधायक ब्रह्मा मरावी और भैंसदेही से विधायक धरमू सिंह मरकाम के अलावा धार से सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल और धरमपुरी से पांचीलाल मेड़ा लोकसभा की टिकट चाहते हैं। इस बार टिकट के लिए इन सभी ने पार्टी के सामने अपनी दावेदारी पेश की है। खास बात ये है कि ये 12 ही आदिवासी विधायक है और विधायक से अब सांसद बनने की ख्वाहिश रखते है। यह बाद उन्होंने पार्टी तक भी पहुंचा दी है। लेकिन पार्टी किसी को भी टिकट देने के पक्ष में नही है। इसके पीछे कांग्रेस के पास बहुमत का न होना है।
इसके पीछा विधायकों की सरकार में संख्या कम होना बताया जा रहा है।चुंकी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस स्पष्ठ बहुमत से सिर्फ दो सीट दूर रह गई। उसे कांग्रेस के ही बागी हुए निर्दलीय विधायकों से बाहर से समर्थन मिला है। वहीं सपा-बसपा ने भी अपना समर्थन कांग्रेस को दिया है। ऐसे में पार्टी नहीं चाहती उसके विधायक लोकसभा चुनाव में लड़े जिससे उन्हें उप चुनाव करवाना पड़े। चुंकी भाजपा के पास 109 विधायक हैं और वो कांग्रेस की गलती का इंतजार कर रही है। हालांकि कांग्रेस की नजर इस पर भी है कि कहीं भाजपा तो अपने विधायकों को लोकसभा का टिकट नहीं दे रही। प्रदेश में लोकसभा की छह आदिवासी सीटें हैं। पार्टी को एक भी विधायक का जोखिम भारी पड़ सकता है, इसलिए पार्टी ने विधायकों से पहले ही स्पष्ट कह दिया है कि वे लोकसभा चुनाव के समय टिकट की मांग ना करे।