भोपाल। विधानसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में काम करने वाली मप्र सरकार की संस्थान जन अभियान परिषद में सरकार ताला लगाने की तैयारी में है। इससे परिषद में सालों से काम कर रहे 600 से ज्यादा कर्मचारियों के सामने रोजी का संकट खड़ा हो गया है। हालांकि राज्य शासन की ओर से परिषद को बंद करने की अधिकृत सूचना जारी नहीं की है, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ इसे बंद करने के संकेत दे चुके हैं। जिसके बाद प्रशासनिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
दरअसल विधानसभा चुनाव के दौरान जन अभियान परिषद भाजपा के पक्ष में काम करने के आरोपों से घिरी रही थी। कांग्रेस की ओर से चुनाव आयोग को शिकायत की गई थी कि जन अभियान परिषद समितियो के माध्यम से भाजपा के पक्ष में काम कर रही है। आयोग ने शिकायत की जांच में भी तथ्य सही पाए जान ेपर परिषद के कामकाज की निगरानी शुरू करा दी थी। चुनाव के दौरान ही जन अभियान परिषद कांगे्रस के निशाने पर आ गया था। यही वजह रही कि कांग्रेस की सरकार बनते ही जन अभियान परिषद को बंद करने की तैयारी हो चुकी है। जल्द ही कैबिनेट में इस पर फैसला भी हो जाएगा
नियमित कर्मचारियों पर फंसा पेंच
शिवराज सरकार चुनाव की आचार संहिता लगने से महीने भर पहले जन अभियान परिषद के 450 से ज्यादा कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश जारी कर गई थी। ऐसे में यदि परिषद को बंद किया जाता हैतो फिर कर्मचारियों को कहां एडजस्ट किया जाएगा। यह अभी तय नहीं है। संविदा पर कर्मचारी अभी कार्यरत हैं, लेकिन बंद होने के बाद उनसे दूसरे विभागों में काम लिया जाएगा या नहीं यही भी तय नहीं है। यही वजह है कि परिषद के कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
बंद करने की यह भी वजह
जन अभियान परिषद में पिछले 10 सालों के भीतर जितने भी कर्मचारियों को संविदा पर रखा गया, वे भाजपा या संघ के नेताओं के रिश्तेदार हंै। हालांकि परिषद की पदाधिकारियों ने इससे इंकार किया है। उनके अनुसार सभी कर्मचारी संघ या भाजपा से जुड़े नहीं है। बताया गया कि परिषद में 30 फीसदी से ज्यादा कर्मचारी संघ या भाजपा नेताओं की सिफारिश पर रखे गए। यही वजह रही कि चुनाव के दौरान कर्मचारियों ने प्रदेश भर में दल विशेष के पक्ष में काम किया।
मुख्य सचिव ने खड़े किए हाथ
परिषद के पदाधिकारियों ने परिषद को बंद करने के संबंध में मुख्य सचिव एसआर मोहंती से भी मुलाकात की है। मोहंती ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। परिषद से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि मुख्य सचिव ने स्पष्ट कहा है कि सरकार परिषद को बंद करने का फैसला ले चुकी है।
परिषद के पास था यात्राओं का जिम्मा
जन अभियान परिषद के पास पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समय निकाली गई नर्मदा सेवा यात्रा एवं आदि शंकराचार्या यात्रा के दौरान सभी तरह की व्यवस्थआों का जिम्मा था। जिसमें धर्मगुरुओं से लेकर यात्रा में पूजा-अर्चना का काम परिषद के पास ही था। इसके अलावा अन्य धार्मिक आयोजन भी परिषद के माध्मय से किए गए। जिन पर करोड़ों रुपए खर्च किए।