किसान बिल को लेकर Kangana Ranaut ने साधा दिलजीत दोसांझ और प्रियंका चोपड़ा पर निशाना, कही ये बात

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  बॉलीवुड एक्ट्रेस (Bollywood Actress) कंगना रनौत (Kangana Ranaut) अपनी अच्छी अदाकारी (acting) के साथ ही मुंह फट (frank) व्यवहार के लिए जानी जाती हैं। वह अक्सर देश के मुद्दों पर अपने विचार सोशल मीडिया (social media) के जरिए लोगों तक पहुंचाती हैं। कंगना रनौत (Kangana Ranaut) शुरुआती दौर से ही कृषि बिल (Agriculture bill) का समर्थन कर रही है, जिसके लिए उन्होंने काफी ट्वीट (tweet) भी किए हैं। वहीं दूसरी तरफ किसानों (farmers) द्वारा इस बिल को वापस लेने की मांग के चलते हो रहे आंदोलन (protest) के वह खिलाफ है।  किसान आंदोलन (Farmers Protest) के खिलाफ कंगना रनौत (Kangana Ranaut) द्वारा कुछ ट्वीट किए गए थे, जिसके चलते हैं पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) ने उन्हें आड़े हाथों लिया था। दिलजीत और कंगना की इस टि्वटर फाइट ने काफी सुर्खियां बटोरी थी।

एक बार फिर कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने कृषि बिल का समर्थन करते हुए दिलजीत दोसांज (Diljit Dosanjh) और प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) पर तंज कसते हुए उन पर किसानों को गुमराह करने के आरोप लगया हैं। ट्वीट के जरिए कंगना रनौत ने लिखा कि  ‘प्रिय दिलजीत, प्रियंका चोपड़ा अगर सच में किसानों की चिंता है, अगर सच में अपनी माताओं का आदर सम्मान करते हो तो सुन तो लो आख़िर फ़ार्मर्ज़ बिल है क्या! या सिर्फ़ अपनी माताओं, बहनों और किसानों का इस्तेमाल करके देशद्रोहियों कि गुड बुक्स में आना चाहते हो? वाह रे दुनिया वाह


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।