सरकारी बंगलों के रिनोवेशन पर होने वाले खर्च को लेकर लाखन सिंह जाट ने जताई चिंता

Concern over wastage on renovation of government bungalows : चिंतक, विचारक, लेखक, समाजसेवी, अध्यक्ष अखिल भारतीय जाट महासभा, विदिशा जिला मंत्री भारतीय मजदूर संघ लाखन सिंह जाट ने मंत्रियों, नेताओं, अधिकारियों को आवंटित होने वाले बंगले और उनके रिनोवेशन पर व्यय होने वाली राशि को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होने कहा कि है एक तरफ तो अधिकांश राज्यों में सरकारी खजाने खाली पड़े हैं, वहीं जनता के टैक्स के पैसों से इन बंगलों के नवीनीकरण के लिए करोड़ों रूपये खर्च कर दिए जाते हैं।

उन्होने कहा कि “देश में जब भी कोई सरकार का बदलाव होता है तो मुख्यमंत्री आवास मंत्रियों के आवास बड़े-बड़े उच्च अधिकारियों के आवासों का राज्यों की राजधानियों में भारत की राजधानी में जिला मुख्यालय, ब्लॉक मुख्यालयों में प्रदेश सचिव, प्रदेश के डीजीपी, विभागों के सचिव, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, न्यायाधीश, विश्वविद्यालयों के कुलपति, रेलवे के उच्च अधिकारी,नगर निगम, नगर पालिका के अधिकारी सरकार द्वारा मनोनीत बोर्ड के अध्यक्ष ,उपाध्यक्ष, सदस्य, महाविद्यालयों के डायरेक्टर, प्राचार्य इत्यादि राजनेता एवं अधिकारियों के सरकारी आलीशान बंगलों पर रिनोवेशन के नाम पर करोड़ों रुपए जनता के बर्बाद कर दिए जाते हैं..डकार लिए जाते हैं।”

“केवल रिनोवेशन ही नहीं, बंगले की भी लड़ाई चलती है बंगले की भी स्पर्धा रहती है। राजनेताओं में उच्च अधिकारियों में जैसे तैसे आलीशान बंगला आवंटित किया जाता है। तत्पश्चात राजनेताओं द्वारा उच्च अधिकारी द्वारा उसकी बारीकी से निरीक्षण किया जाता है, सूची बनाई जाती है, फिर उस आलीशान बंगले के लिए रिनोवेशन के नाम पर जनता के खून पसीना की कमाई के द्वारा उन बंगलो में करोड़ों रुपए बर्बाद किए जाते हैं। राजनेताओं एवं उच्च अधिकारियों की मिलीभगत को भोली भाली जनता समझ नहीं पाती। एक परिवार को रहने के लिए लगभग 1000 से 2000 स्क्वायर फीट क्षेत्रफल की आवश्यकता होती है, परंतु इन बंगलों का क्षेत्रफल असीमित रहता है। चार-पांच एकड़ में बंगले रहते हैं जबकि इस महंगाई के दौर में जनता अपना जीवन यापन कैसे करती है।”

“राजनेताओं द्वारा सरकार बदलने पर अपने अपने बंगलों का..आवासों का रिनोवेशन कार्य प्रारंभ किया जाता है जोकि हजारों में नहीं लाखों में नहीं करोड़ों में किया जाता है। जनता के गाढ़े खून की कमाई को आवास की सुविधाओं के लिए भ्रष्टाचार के लिए दे दिया जाता है। पुराने आलीशान बंगले को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त किया जाता है फिर उसमें अपनी सुविधानुसार सुविधाएं जोड़ दी जाती है जैसे सर्व सुविधा युक्त प्रसाधनों का निर्माण आधुनिक टाइल्स, आधुनिक पर्दे, आधुनिक डेंटिंग पेंटिंग, खिड़की दरवाजे, झूले लगवाना, डाइनिंग टेबल, ड्रेसिंग टेबल बंगले को वातानुकूल बनाना। जैसे कि राजनेताओं को उच्च अधिकारियों को इस बंगले में संपूर्ण जिंदगी यही रहना है। राजनेताओं का उच्च अधिकारियों का समय का कोई पता नहीं रहता कब तक वह मंत्री रहेंगे कब तक अधिकारी उस बंगले में रहेंगे, स्थानांतरण हो सकता है परंतु लालसा रिनोवेशन की है।”

“देश के प्रधानमंत्री जी ने प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की। एक परिवार के लिए सीमित क्षेत्रफल में बना कर दिया गया परंतु राजनेताओं के बंगले असीमित हैं। इस पर हमें विचार करना चाहिए। असीमित बंगलो को भी सीमित करना चाहिए, छोटे-छोटे करना चाहिए जिससे उनका रखरखाव ठीक से हो सके। उसकी सुरक्षा व्यवस्था भी कम हो सके। जितने छोटे छोटे बंगले होंगे उतने ही सुरक्षाकर्मी कम लगेंगे। बंगले में होने वाला खर्च, सुरक्षा में होने वाला खर्च सरकार पर कम होगा, जनता के पैसे का सदुपयोग होगा। एक तरफ राज्यों में बजट की कमी है कई प्रदेश कर्जों में डूबे हुए हैं। जनता की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम नहीं है जैसे सड़कों की खस्ता हालत, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, शिक्षा के क्षेत्र में सुविधाओं का अभाव, शुद्ध पेयजल की आपूर्ति ना होना। यदि जनता है इन सभी सुविधाओं की मांग करती है तो राजनेताओं द्वारा अधिकारियों द्वारा बजट का रोना रोते हैं। कर्मचारियों की समय पर वेतन की मांग की जाती है तब भी बजट उपलब्ध नहीं रहता परंतु रिनोवेशन का कार्य चलता है तब बजट कहां से आता है।”

“माननीय न्यायालय को संज्ञान में लेना चाहिए जब बंगला खाली किया जाता है क्या-क्या सुविधाएं बंगले में थी। जब बंगला खाली किया जाता है आधे से ज्यादा सामान तो उस बंगले में से गायब हो जाता है। बंगले के साथ-साथ मिलने वाली सुविधाएं जैसी वाहन सुविधा वाहन सुविधा केवल कार्यालय समय के लिए रहती है ना की बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए, पत्नी को घुमाने के लिए। परंतु किस प्रकार से सुविधाओं का उपयोग किया जाता है और जनता बेचारी देखती रहती है।”


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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