भोपाल। हज सफर-2020 के लिए अर्जियों का सिलसिला शुरू हुए आधे माह से ज्यादा वक्त गुजर चुका है लेकिन इस दौरान अब तक ऑनलाइन हुए आवेदन की तादाद बेहद कम है। पिछले सालों में हुए हज आवेदन के मुकाबले यह संख्या एक चौथाई से भी कम बताई जा रही है। नई ऑनलाइन व्यवस्था और ऐन वक्त पर बढऩे वाली तारीख की उम्मीदों ने यह हालात बना रखे हैं। आवेदन की आखिरी तारीख 10 नवंबर तक इस प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद की जा रही है।
जानकारी के मुताबिक 10 अक्टूबर से शुरू हुए हज आवेदन के सिलसिले के दौरान अब तक महज 4 हजार के आसपास अर्जियां ही जमा हुई हैं। इस साल शुरू किए पूर्णता ऑनलाइन व्यवस्था के तहत यह आवेदन जमा किए गए हैं। इनकी मॉनिटरिंग मप्र राज्य हज कमेटी द्वारा की जा रही है। साथ ही जरूरत के मुताबिक आवेदकों को मदद के लिए यहां सेंटर भी स्थापित किए गए हैं। गौरतलब है कि पिछले सालों में हज आवेदन का आंकड़ा 20 हजार पार जाता रहा है। जबकि इस बार धीमी गति से शुरू हुए आवेदन के सिलसिले से इसकी तादाद बढऩे और पिछले आंकड़े तक पहुंचने में संशय जाहिर किया जा रहा है।
ऑनलाइन प्रक्रिया ने रोकी रफ्तार
सूत्रों का कहना है कि इस साल हज आवेदन की रफ्तार धीमी होने की एक वजह इस प्रक्रिया का पूरी तरह ऑनलाइन हो जाना है। अब तक यह व्यवस्था वैकल्पिक हुआ करती थी, जिसके तहत बड़ी तादाद में लोग ऑफलाइन आवेदन किया करते थे। जबकि कुछ चुनिंदा लोग ऑनलाइन का सहारा लिया करते थे। बताया जाता है कि ऑनलाइन व्यवस्था में उन लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जो मोबाइल या नेटबैंकिंग से काम नहीं करते हैं। ऐसे लोगों को अपनी रजिस्ट्रेशन फीस जमा कराने के लिए बैंकों की मैन्युअल पद्धति का ही सहारा लेना पड़ रहा है। यह लोग बैंकों की कतार में लगकर अपनी फीस जमा करवाकर इसकी पर्ची आवेदन के साथ ऑनलाइन अटैच कर रहे हैं। हालांकि हज कमेटी ने ऐसे आवेदकों के लिए बैंकों की तादाद एक से बढ़ाकर दो कर दी है। जहां पहले हज रजिस्ट्रेशन फीस जमा करने के लिए महज स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का सहारा लेना पड़ता था, वहीं अब यह काम यूनियन बैंक से भी कराया जा सकता है।
इनका कहना
ऑनलाइन प्रक्रिया से हज आवेदन करने के पीछे पेपरलैस व्यवस्था के जरिये पर्यावरण सुरक्षा की मंशा है। आवेदन का सिलसिला आखिरी तारीखों में तेज होता है। उम्मीद है कि एक तारीख बाद यह प्रक्रिया तेज होगी।
अब्दुल मुगनी, वरिष्ठ सदस्य, मप्र राज्य हज कमेटी