मध्यप्रदेश उपचुनाव 2020 : शिवराज के इन 2 मंत्रियों को देना होगा इस्तीफा, कांग्रेस ने की हटाने की मांग

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश उपचुनाव (Madhya Pradesh by-election) की तारीखों का ऐलान कर दिया है। 3 नवंबर को मतदान होगा और 10 नवंबर को नतीजे आएंगे। चुनाव आयोग की रणभेरी बजते ही राजनैतिक पार्टियां भी एक्टिव मोड में आ गई है और एक दूसरे की गलतियों पर निगाहें जमाना शुरु कर दिया है।अब कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिवराज सरकार में दो मंत्रियों गोविंद सिंह राजपूत (Govind Singh Rajput) और तुलसी राम सिलावट (Tulsi Ram Silvat) को मंत्री पद से हटाने की मांग की है। खास बात ये है कि दोनों ही भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के कट्टर समर्थक माने जाते है, ऐसे में उपचुनाव से पहले कांग्रेस ने शिकायत कर भाजपा और सिंधिया खेमे में हलचल पैदा कर दी है।

दरअसल, बुधवार को राजधानी भोपाल में चुनाव आयोग की सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें सभी राजनीतिक दलों को चुनाव की तैयारियों के बारे में जानकारी दी गई थी।इस दौरान कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया (Jp dhanopia) ने नियमों का हवाला देते हुए प्रदेश सरकार में शामिल दो मंत्रियों गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट (Tulsi Silvat) को मंत्रिमंडल से बाहर करने की मांग की। धनोपिया ने कहा कि दोनों नेताओं का कार्यकाल 6 महीने बाद 20 अक्टूबर को खत्म हो रहा है, आयोग को इस पर ध्यान देते हुए उन्हें अभी मंत्रिमंडल से बाहर करने का फैसला करना चाहिए।

20 अक्टूबर को 6 महिने होंगे पूरे

चुनाव आयोग (Election commission) द्वारा मध्यप्रदेश उपचुनाव की तारीखों का ऐलान करते ही शिवराज सरकार (Shivraj government) में दो सिंधिया समर्थकों की मुश्किलें बढ़ गई है। विधायक न होने की वजह से शिवराज सरकार में सिंधिया खेमे के 2 मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ सकता है, क्योंकि किसी भी नेता को मंत्री पद की शपथ लेने के 6 महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है और दोनों नेताओं का कार्यकाल 6 महीने बाद 20 अक्टूबर को खत्म हो रहा है, ऐसे में 6 माह पूरा होते ही दोनों का मंत्री पद चला जाएगा। बताते चले कि कमलनाथ सरकार गिराने और विधायक पद से इस्तीफा देकर ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के साथ बीजेपी ज्वाइन करने के बाद सबसे पहले 21 अप्रैल को संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर दोनों मंत्रियों तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत (Tulsi Silvat and Govind Singh Rajput) ने मंत्री पद की शपथ ली थी, ऐसे में अब 20 अक्टूबर तक विधानसभा के लिए निर्वाचित न होने पर दोनों नेताओं को अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।

क्या कहते है जानकार

जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है कि कोई व्यक्ति लोकसभा और विधानसभा का चुनाव जीते बिना मंत्री बन जाता है तो वह छह माह तक ही पद रह सकता है। उसे इन छह माह में चुनाव जीतकर सदन का सदस्य बनना जरूरी है। यदि उसे सदन का सदस्य बने बिना दोबारा मंत्री बनाना है तो पहले इस्तीफा देना होगा । लेकिन मुसीबत यह है कि गोविंद राजपूत और तुलसी सिलावट को अगर दोबारा मंत्री की शपथ दिलाई जाएगी तो यह आचार संहिता का उल्लंघन होगा क्योंकि यह लोग उस समय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे होंगे और इसलिए अब यह तय है कि इन दोनों को इस्तीफा देना ही होगा और अगर मंत्री दोबारा बनते हैं तो उसके लिए विधायक का चुनाव जीतना जरूरी भी होगा।

शिवराज मंत्रिमंडल में भी संख्या ज्यादा
वही दूसरी तरफ मंत्रिमंडल में भी निर्धारित संख्या से ज्यादा मंत्री बनाए गए हैं। वर्तमान में शिवराज मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत कुल सदस्यों की संख्या 34 है, जो कि नियम के विरुद्ध है, क्योंकि राज्य में विधानसभा की सदस्य संख्या 230 है, उसके अनुसार प्रदेश में अधिकतम 35 मंत्री हो सकते हैं, लेकिन 3 विधायकों की मृत्यु और 25 सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफे के कारण इस वक्त विधानसभा की सदस्य संख्या 202 है, ऐसे में मंत्रियों की संख्या पर भी सवाल खड़े होना लाजमी है, हालांकि कांग्रेस इस पर पहले ही आपत्ति जता चुकी है।


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