भोपाल।
आज देश भर में महाशिवरात्रि का पर्व पूरी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। भगवान शिव और पार्वती के विवाह के अवसर पर मनाये जाने वाले महाशिवरात्रि पर्व को लेकर देशभर के विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।लोग पवित्र स्नान कर शिवालयों में बेलपत्र और फल लेकर कतारबद्ध होकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं।महाशिवरात्रि को लेकर जगह-जगह शिव की झांकियां और बारात निकाली जा रही है, जिसमें लोग तरह-तरह की वेशभूषा धारण करे हुए हैं। हर हर महादेव के जयकारों के साथ माहौल पूरी तरह से भक्तिमय हो चला है। इसी बीच हम आपको दो ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जहां दूध के जगह गन्ने के रस से अभिषेक होता है और तिल तिल शिवलिंग भी बढता है।ये दोनों मंदिर एमपी के बड़वानी और देवास में स्थित है।हर साल यहां शिवरात्री के दिन भक्तों का तांता लगा हुआ रहा है।
दरअसल, मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में ‘देवपथ महादेव’ नाम का एक सालों पुराना मंदिर है। मंदिर श्री महायंत्र के रूप में निर्मित है, जबकि शिवलिंग के ऊपर गुम्बद के आकार वाला रुद्र यंत्र बना हुआ है। स्कंदपुराण, शिवपुराण और नर्मदा पुराण में इस मंदिर का महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि यह मंदिर इंसान नहीं स्वंय देवताओं ने बनाया था। मान्यता है कि देवताओं ने जब मां नर्मदा की परिक्रम शुरू की थी, उसी दौरान इस मंदिर का निर्माण भी किया था। यही वजह है कि इस मंदिर का नाम देवपथ महादोव रखा गया।पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने अन्य देवताओं के साथ यहां शिवलिंग की पूजा-अर्चना भी की थी। बोधवाड़ा गांव में स्थित इस मंदिर का पौराणिक और धार्मिक महत्व भी है।मंदिर से जुड़ा एक रोचक तथ्य ये भी है कि मंदिर में स्थित अष्टकोण शिवलिंग 12 फीट ऊंचा है, जिसका 10 फीट हिस्सा भूमिगत है, जबकि दो फीट दिखायी देता है।खास बात ये है कि यहां लोग दूध से नही बल्कि गन्ने के रस से शिव का अभिषेक करते है। कहते है महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां जो भी भक्त गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करता है, उसकी सभी मनोकामन���एं पूरी होती हैं। यहां महाशिवरात्रि पर विधि-विधान से एक गड्ढे में आटे को सूत में लपेटकर कपड़े से ढंककर कंडे की आग में रोट बनाया जाता है, जिसे सुबह लोगों को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
वही दूसरा मंदिर ऐसा ही रहस्य भरा भगवान भोलेनाथ का बिलावली का शिव मंदिर है, जो मध्यप्रदेश के देवास जिले में स्थित है। बिलावली महादेव स्वयंभू हैं और इन्हें उज्जैन के भगवान महाकालेश्वर का ही स्वरूप है। पहले शिवलिंग का आकार नारियल के समान था, लेकिन लगातार वृद्धि के बाद अब आकार बड़ा हो चुका है। महाशिवरात्रि पर यहां दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए पहुंचेंगे। शिवरात्रि के दिन पुलिस का इंतजाम भी रहेगा। मान्यता है कि हर महाशिवरात्रि पर यह शिवलिंग तिलभर बढ़ जाता है और भगवान भोलेनाथ के इस स्परूप के दर्शन मात्र से ही भक्तों का भाग्योदय हो जाता है।शिवलिंग का फूल, सूखे मेवे, फल और अन्य पूजन सामग्री से श्रृंगार किया जाता है। कहा जाता है कि श्रद्धालुओं द्वारा 7 सोमवार उपवास रख बिलावली स्थित इस शिवलिंग के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।