भोपाल। मध्य प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए जोड़तोड़ शुरू हो गई है| अगले साल अप्रैल में राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं। फिलहाल दो भाजपा के पास हैं और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है| इन सीटों के लिए बीजेपी और कांग्रेस के बीच घमासान शुरू हो गया है| दोनों ही पार्टियों में कई दावेदार भी सक्रिय हो गए हैं|
अभी बीजेपी के पास दो सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के खाते में एक सीट है जिस पर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह काबिज हैं| भाजपा के राज्यसभा सदस्य उपाध्यक्ष प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया (अनुसूचित जाति) का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। इस सीट पर जहां प्रभात झा तीसरी पारी खेलने की तैयारी में हैं तो बाकी नेता नेताओं ने भी राज्यसभा सदस्य बनने के लिए जोड़-तोड़ शुरू कर दी है। वहीं दिग्विजय सिंह भी दोबारा राज्यसभा जाने की पूरी कोशिश में लगे हैं| हालाँकि अन्य दावेदारों के चलते उनकी राह मुश्किल हो सकती है| विधानसभा की दलीय स्थिति के मुताबिक एक सीट भाजपा, एक कांग्रेस को मिलेगी, लेकिन तीसरी सीट के लिए घमासान होगा।
तीसरी सीट के लिए घमासान, निर्दलीयों की भूमिका होगी ख़ास
मप्र से राज्यसभा के 11 सदस्य हैं। इनमें कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा व पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया का कार्यकाल नौ अप्रैल 2019 तक है। रिक्त होने वाली तीन सीटों में से कांग्रेस और भाजपा के एक-एक प्रत्याशी की जीत की संभावना तय है| जबकि तीसरे सदस्य के मामले में हाल फिलहाल कांग्रेस का पलड़ा भारी है। निर्वाचन के लिए कम से कम 58 विधायकों के वोटों की जरूरत है। यानी कांग्रेस और भाजपा अपने एक-एक उम्मीदवार को राज्यसभा में आसानी से पहुंचा सकते हैं। लेकिन तीसरे प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस की राह भाजपा के मुकाबले आसान है। तीसरी सीट के लिए निर्दलीय विधायकों की भूमिका अति महत्वपूर्ण होगी। एक सदस्य के लिए 58 विधायकों के वोट की जरूरत पड़ती है, इस लिहाज से तीसरी सीट के लिए कांग्रेस के 56 और भाजपा के पास 50 विधायक बचेंगे। कांग्रेस को जहां दो वोट की जुगाड़ करनी होगी, वहीं भाजपा को आठ वोटों की जरूरत होगी। दोनों दलों की नजर निर्दलीय विधायकों पर होगी।
भाजपा में दावेदार सक्रिय
भाजपा में राज्यसभा के लिए दावेदार सक्रिय हैं| फिलहाल मालवांचल से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इस दौड़ में शामिल हैं। वहीं मालवांचल में आदिवासी सीटों में मिली हार की भरपाई करने के लिए पार्टी आदिवासी नेता को राज्यसभा भेज सकती है| वहीं महाकोशल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से पूर्व महाधिवक्ता रविनंदन सिंह का नाम आगे बढ़ाया जा रहा है। विनोद गोटिया भी कतार में हैं, वे एक बार राज्यसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। चंबल से अजा कोटे से लालसिंह आर्य को भी प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
कांग्रेस में जोड़तोड़ शुरू, सिंधिया दिग्विजय आमने सामने
कांग्रेस में भी राज्यसभा सीट के लिए अभी से जोड़तोड़ शुरू हो गई है| कांग्रेस के दो नेता अप्रैल में राज्यसभा का टिकट पाएंगे, जिसके लिए कुछ दिग्गज नेताओं की नजरें अभी से उस पर टिक गई हैं। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस समय काफी सक्रिय हैं, लेकिन इस बार उनकी राह मुश्किल हो सकती है, अन्य दावेदार भी सक्रिय हैं| सूत्र बताते हैं कि उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद राज्यसभा में उन्हें फिर से भेजे जाने की संभावना कम है, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ उनके लिए कुछ प्रयास कर सकते हैं। वहीं बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री की पहली पसंद पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना हैं, जिन्होंने कमलनाथ के लिए विधानसभा सीट छोड़ी थी। राज्यसभा जाने वाले दूसरे प्रमुख दावेदार पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं, जो राज्यसभा पहुंचकर अपनी आवाज को संसद में उठाने की कोशिश में हैं।